गया: गया महानगर की स्थिति पहले से ही ठीक नहीं है. वर्षो से बदहाल हैं गयाजी की गलियां, सड़कें और बस्तियां. पर, हाल के दिनों में हालात तेजी से बद से बदतर होते गये हैं. स्थिति यह है कि इन दिनों नगर निगम बे माई-बाप जैसी स्थिति में है. मेयर महोदया पहले से ही निगम की गतिविधियों से दूर थीं. उनकी गैर मौजूदगी में पिछले महीने तक निगम आयुक्त और डिप्टी मेयर महोदय निगम में बैठा करते थे. काम हो या नहीं, मीटिंग तो हो ही जाती थी. पर, पिछले महीने निगम के आयुक्त भी रिटायर हो लिये. फिर क्या था. केवल डिप्टी मेयर बचे थे. रही-सही कसर छह जनवरी की रात पूरी हो गयी. पटना में डिप्टी मेयर की गिरफ्तारी के साथ.
खेमे में बंटे पार्षद व कर्मचारी भी : वर्ष 2012 में निगम चुनाव के बाद मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव काफी रहस्यमय और तनावपूर्ण माहौल में हुआ. विभा देवी मेयर बन गयीं. फिर से चुनाव जीत चुके पूर्व डिप्टी मेयर फिर से डिप्टी मेयर चुन लिये गये. एक और कार्यकाल के लिए. पर, मेयर व डिप्टी मेयर के बीच का समीकरण चुनाव के साथ ही गड़बड़ा गया. आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया. दोनों के बीच. इसका असर अन्य जन प्रतिनिधियों व निगम के कर्मचारियों पर भी पड़ा. पार्षद व अफसर-कर्मचारी दो खेमे में बंट कर रह गये. दोनों खेमों के नेतृत्वकर्ता एक-दूसरे से भिड़ने का एक भी मौका गंवाने को तैयार नहीं. मामला तो निगम मुख्यालय में कुरसियों की फेंका-फेंकी तक जा पहुंचा. एक आदमी, दूसरे को देख लेने की ताक में रहने लगा. गया के हितों को देखना छोड़ कर. फिर क्या होगा शहर का? भगवान भरोसे ही तो रहना होगा न?
नेतृत्वहीनता चरम पर : इस बीच, गया के लोगों के हित में करोड़ों रुपये से होनेवाले काम बाकी रह गये. करीब 20 करोड़ रुपये धरे के धरे रह गये. शहरी जीवन की बदहाली ङोलने के अभ्यस्त गयावासियों के सामने चुपचाप मेयर-डिप्टी मेयर के बीच मैच देखना छोड़ और विकल्प ही क्या है? उधर, विगत नवंबर महीने में शहर के एक अस्पताल में एक मरीज की चिकित्सा में कथित तौर पर लापरवाही को लेकर डॉक्टरों के साथ हुए एक विवाद के बाद कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए मेयर महोदया के भूमिगत हो जाने से निगम पहले से ही अभिभावकहीन अवस्था में था. वैसे, उनकी गैर मौजूदगी में आयुक्त के साथ मिल कर डिप्टी मेयर महोदय बैठकों की खानापूर्ति जरूर कर रहे थे.
पर, इसी बीच विगत 25 दिसंबर डिप्टी मेयर के लिए अशुभ साबित हुआ. वह एक नये विवाद में घिर गये. शहर के कोतवाली थाना इलाके में स्वर्गलोक नामक एक पार्लर पर पुलिस ने छापे मार कर कुछ महिलाओं के साथ पुरुष ग्राहकों को रंगेहाथ पकड़ लिया. इस मामले से डिप्टी मेयर का नाम इसलिए जुड़ा कि जिस मकान में पार्लर है, वह उनकी पत्नी मनीषा के नाम पर बताया जाता है. डिप्टी मेयर इस विवाद से बचने के लिए अपने को बिल्डिंग के मालिकाने से दूर दिखाने की जोरदार कोशिश कर रहे थे. इस विवाद से वह अपने को दूर कर पाते, उससे पहले ही निगम के मामलों में उनका साथ दे रहे नगर आयुक्त दयाशंकर बहादुर दिसंबर के आखिरी दिनों में रिटायर हो गये. इसके बाद तो विवादों से घिरे होने के बावजूद डिप्टी मेयर महोदय अकेले ही निगम को नेतृत्व देने के लिए उपलब्ध थे. पर, अब तो निगम में नेतृत्वहीनता की स्थिति चरम पर है. अपहरण व दुष्कर्म के एक मामले में डिप्टी मेयर भी पटना में गिरफ्तार कर लिये गये हैं. इस प्रकार मेयर, फिर निगम आयुक्त और अब डिप्टी मेयर, एक-एक कर तीनों ही निगम के रूटीन कामकाज से दूर हो गये हैं. अब गया शहर और इसके नागरिक बस भगवान के भरोसे रहें.