गया: दिन-प्रतिदिन मौसम का पारा चढ़ता जा रहा है, लेकिन बिजली की आपूर्ति बढ़ने के बजाय घटती जा रही है. इससे एसी, कूलर, पंखा व रेफ्रीजरेटर शोभा की वस्तु बन कर रह गये हैं. आर्थिक रूप से संपन्न लोग तो जेनेरेटर के भरोसे आराम की जिंदगी बीता रहे हैं, लेकिन ऐसे में आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है. न रात को नींद, न ही दिन को चैन जैसी स्थिति हो गयी है.
भीषण गरमी के इस मौसम में बिजली की आवश्यकता 25 प्रतिशत बढ़ जाती है. सामान्य दिनों में न्यूनतम 60 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है, जो इस समय बढ़ कर 75 मेगावाट हो जाती है, लेकिन सीएलडी से औसतन मात्र 35 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है. इससे बिजली आपूर्ति से संबंधित अधिकारी भी पसोपेश में हैं.
हमेशा बिजली बढ़ते-घटते रहने से रोस्टर पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. विद्युत आपूर्ति प्रमंडल, गया शहर के कार्यपालक अभियंता बिनोद प्रजापति बताते हैं कि जिले के लिए आवश्यकता के 50 प्रतिशत से भी कम बिजली मिलने के कारण रोस्टर के अनुसार शहर के विभिन्न इलाके में बिजली की आपूर्ति की जा रही है. पावर हमेशा बढ़ते-घटते रहता है. इस स्थिति में सुनिश्चित समय पर किसी खास इलाके में बिजली आपूर्ति की गारंटी देना संभव नहीं है.