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बाजार में 50 से लेकर 500 रुपये तक के महावीरी झंडे
गया: आगामी 15 अप्रैल को मनायी जानेवाली रामनवमी को लेकर गया शहर समेत पूरे जिले में तैयारियां शुरू हो गयी हैं. बाजार सजने लगे हैं. महावीरी झंडे भी बनने शुरू हो गये हैं. विभिन्न अखाड़ों के अलावा प्रशासनिक स्तर भी तैयारी हो रही है. थानों में शांति समिति की बैठकें व शोभायात्रा में पुलिसबल की […]
गया: आगामी 15 अप्रैल को मनायी जानेवाली रामनवमी को लेकर गया शहर समेत पूरे जिले में तैयारियां शुरू हो गयी हैं. बाजार सजने लगे हैं. महावीरी झंडे भी बनने शुरू हो गये हैं. विभिन्न अखाड़ों के अलावा प्रशासनिक स्तर भी तैयारी हो रही है. थानों में शांति समिति की बैठकें व शोभायात्रा में पुलिसबल की तैनाती के साथ-साथ गड़बड़ी फैलानेवाले लाेगाें पर भी नजर रखने की रणनीति बन रही है.
रामनवमी में महावीरी झंडाें का बड़ा ही महत्व होता है. कई दिन पहले से ही झंडे बनाने का काम शुरू हो जाता है. शहर में फिलहाल केपी रोड, चौक सर्राफा, किरानी घाट, चांदचौरा, माड़नपुर व बाइपास सहित अन्य जगहों पर महावीरी झंडे बेचे जा रहे हैं. इन झंडों की कीमत साइज के हिसाब से 50 रुपये से लेकर 500 रुपये तक है. व्यवसायियों ने बताया कि एक झंडा बनाने पर 10 से 20 रुपये का मुनाफा हो जाता है. पर्व के नजदीक आते ही झंडों व पूजा सामग्री की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है.
15 ट्रक बांस बिकने की उम्मीद: द्वारिका टिंबर के रवि कुमार व अमित कुमार सहित अन्य बांस व्यवसायियों ने बताया कि रामनवमी पर गया शहर में 15 ट्रक बांस बिकने की संभावना है. पिछले साल 13 ट्रक बांस की बिक्री हुई थी. रवि कुमार ने बताया कि मौर्या घाट में अकेले 10 ट्रक बांस बिकता है. एक ट्रक में छोटे-बड़े मिला कर 200 पीस बांस आते हैं. रामनवमी नजदीक अाने पर बांस की बिक्री बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि बांस पूर्णिया के गुलाबबाग से मंगवाये जाते हैं.
मुसलिम समाज के लोग भी जुड़े हैं झंडा बनाने के काम से
गया में रामनवमी सांप्रदायिक साैहार्द के बीच मनायी जाती है. इसमें मुसलिम समुदाय के लाेग भी सहयाेग करते हैं. ऐसे में जब महावीरी झंडा बनाने में मुसलिम परिवार के लाेग लगे हाें, ताे इसका महत्व आैर भी बढ़ जाता है. हालांकि, झंडा बनाने का काम राेजगार से जुड़ा है, पर इसके साथ आस्था भी जुड़ी हाेती है. ऐसे में सांप्रदायिक साैहार्द की मिसाल पेश करना एक बड़ी बात होती है. मोहम्मद इम्तियाज, मोहम्मद इंदू व नुसरत खातून सहित अन्य व्यवसायियों ने बताया कि वे लोग आठ साल से रामनवमी के लिए महावीरी झंडा बनाते आ रहे हैं. झंडा बनाने का काम उनके पिता भी करते हैंं. यह बिजनेस बहुत अच्छा है. कम समय में ज्यादा मुनाफा मिल जाता है. व्यवसायियों ने बताया कि एक झंडे के बेचने पर साइज के हिसाब से 10 से 20 रुपये तक का फायदा हो जाता है.
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