गया: दूध, एक व्यक्ति के जीवन के आरंभ से लेकर अंत तक एक महत्वपूर्ण आहार. इसी दूध का हिसाब समझने फ्रांस का एक दंपती इन दिनों कई देशों के दौरे पर है. एक देश से दूसरे देश को जा रहा यह दंपती इन दिनों बिहार में है. गया में. चीन के बाद नेपाल होते हुए इनका बिहार में प्रवेश हुआ है. अपनी यात्र की बाबत इमैनुअल कहते हैं कि वह विभिन्न देशों में दूध के उत्पादन, महत्व और उपयोग का हिसाब समझना चाहते हैं. भारत में उनकी यात्र का भी यही मकसद है. उनके इस अभियान का नाम है ‘दूध के रास्ते पर’.
फ्रांस के सैमबेरी शहर के रहनेवाले इमैनुअल के साथ उनकी पत्नी कॉलेट भी नौ महीनों से इस अनोखी यात्र के तहत सड़कों पर ही दिन-रात गुजार रही हैं. दैनिक जीवन के लिए जरूरी तमाम आधारभूत सुविधाओं से लैस एक चारपहिये वाहन में सवार होकर मिंगासन दंपती अब तक 30 हजार किलोमीटर यात्र पूरी कर चुका है.
इमैनुअल कहते हैं कि यात्र अभी और लंबी है. करीब 65-70 हजार किलोमीटर की यात्र होगी. इस दंपती के बारे में महत्वपूर्ण यह है कि सड़क मार्ग से होकर यह इनकी दूसरी अंतरराष्ट्रीय यात्र है. 10 वर्ष पहले भी इस दंपती ने दुनिया के कई देशों की यात्र कर दूध व दुधारू पशुओं की दुनिया को समझने की कोशिश की थी. उस यात्र के अनुभव के आधार पर इमैनुअल ने एक पुस्तक भी लिखी, जो फ्रांस के दुग्ध उत्पादकों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दंपती की धारणा है कि उनकी दूसरी यात्र उनके देश में दूध की मौजूदा स्थिति को बदलने में और सहायक होगी.