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बैग के बोझ तले दबता जा रहा बचपन

गया: बच्चे का स्कूल बैग का वजन अगर उसके शरीर के वजन के पांच प्रतिशत से अधिक हो, तो यह उसके शरीर की बनावट को प्रभावित कर सकता है. विश्व भर के शोध से यह बात सामने आयी है कि, अधिक वजन के बैग को पीठ पर ढोने की वजह से बच्चे के शरीर में […]

गया: बच्चे का स्कूल बैग का वजन अगर उसके शरीर के वजन के पांच प्रतिशत से अधिक हो, तो यह उसके शरीर की बनावट को प्रभावित कर सकता है. विश्व भर के शोध से यह बात सामने आयी है कि, अधिक वजन के बैग को पीठ पर ढोने की वजह से बच्चे के शरीर में झुकाव व दर्द की परेशानी बढ़ रही है. देश भर में हुए शोध के बाद पेश किये गये आंकड़ों के अनुसार, आम तौर पर स्वस्थ बच्चों में 10 से 30 प्रतिशत पीठ दर्द की परेशानी ङोल रहे हैं. डॉक्टर यह भी मानते हैं कि भारी स्कूल बैग ढोने की वजह से बच्चे का शारीरिक विकास भी प्रभावित होता है. शहर में भी ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं. डॉक्टर मान रहे हैं उनके पास कई अभिभावक अपने बच्चों की शारीरिक तकलीफ को लेकर यहां पहुंचते हैं.

केंद्र सरकार का आदेश भी कारगर नहीं : भारत सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग की ओर से स्कूल बैग के वजन को कम करने के आदेश भी इस मामले में कारगर साबित नहीं हो रहा है. लगभग सभी स्कूलों में स्थिति बराबर ही दिखती है. सुबह-शाम शहर की सड़कों पर निकल जायें तो, स्कूल बस के इंतजार में बैग पीठ पर लिये झुके बच्चे नजर आना आम बात है. स्कूल प्रबंधन के साथ उलझने की डर की वजह अभिभावक भी इस मामले में चुप रहते हैं. गौरतलब है कि वर्ष 2008 में मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने बढ़ते स्कूल बैग के वजन को गंभीर मानते हुए कई दिशा निर्देश जारी किये थे. इनमें प्राइमरी के बच्चों की किताबों की संख्या को सीमित करने, कक्षा एक से दो तक के बच्चों के लिए स्कूल बैग की व्यवस्था नहीं हो, उनके किताब कॉपी स्कूल में ही रखवा लिये जाये. इसके साथ कक्षा एक व दो के बच्चों के लिए होमवर्क की व्यवस्था पर रोक लगाने का आदेश जारी किया गया था.

यशपाल कमेटी की रिपोर्ट ने भी की थी सिफारिश : स्कूल बैग के बढ़ते वजन का मामला 1992 में ही आया था. इसके बाद 1992 में ही भारत सरकार ने प्रो यशपाल के नेतृत्व में राष्ट्रीय सलाहकार समिति का गठन किया था.

इसका मुख्य उद्देश्य था कि बच्चों में बढ़ रहे शिक्षा दबाव की जांच कर रिपोर्ट तैयार करना था. यशपाल कमेटी ने जुलाई 1993 में अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंप दी. रिपोर्ट में प्रोफेसर यशपाल ने मानव संसाधन विभाग के तत्कालीन मंत्री अजरुन सिंह को पत्र लिख कर अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसमें उन्होंने कहा कि बच्चों को भारी बैग लाने के लिए मजबूर करना स्कूल की ओर से किया जा रहा शोषण है. किताबों व कॉपियों को स्कूल अपनी संपत्ति समङों और इसका बोझ किसी भी सूरत में बच्चों पर नहीं डाला जाये. इन सब के बाद प्राइवेट स्कूलों के स्तर पर कई नियम बनाये गये, लेकिन कहीं से भी कारगर साबित नहीं हो सका.

स्कूल बैग का बढ़ा वजन चिंता का विषय : हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ फरासत हुसैन, स्कूल बैग के अधिक वजन को बेहद गंभीर मामला बताते हैं. उनके अनुसार, अधिक वजन के बैग की वजह से मेरु दंड में टेढ़ापन, कंधों में दर्द, पीठ में दर्द की समस्या बन जाती है. इससे शरीर का विकास खासकर लंबाई प्रभावित होती है. लड़कियों के मामले में डॉ हुसैन कहते हैं कि अधिक वजन के बैग उठाने की वजह से लड़कियों का ब्रेस्ट डेवलपमेंट भी प्रभावित होता है. उन्होंने बताया कि इस समस्या से निजात पाने के लिए अभिभावक बच्चों को व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें.

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