अन्य बच्चों ने कहा कि पुलिस की छवि मारपीट व लाठी-डंडा चलानेवाले के रूप में बन गयी है. इसके अलावा कोई पीड़ित थाने में जाता है, तो मामला दर्ज करने व कार्रवाई करने के बदले में उसे पैसे देने पड़ते हैं. इससे लोगों का भरोसा पुलिस पर कम होता जा रहा है. हालांकि, कई बच्चों ने समर्थन करते हुए कहा कि जिस तरह घर के बड़े-बुजुर्ग किसी गलती पर बच्चों को डांटते हैं या कभी-कभार दो-चार छड़ी भी लगा देते हैं, उसी तरह पुलिसकर्मी भी कभी-कभी स्थिति नियंत्रित करने के लिए बल का प्रयोग करते हैं, तो इसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए. प्रतियोगिता में सोशल मीडिया का युवाओं पर असर विषय पर छात्रों ने कहा कि एकसाथ कम समय में कई जगहों पर संवाद प्रेषण के लिए सोशल मीडिया काफी कारगर साबित हो रहा है, परंतु इसके गलत उपयोग से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. ज्यादातर कम उम्र के बच्चे इसका गलत उपयोग कर रहे हैं और भटक भी रहे हैं.
18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया के उपयोग करने पर रोक लगा देनी चाहिए. अन्य छात्रों ने भी सोशल मीडिया के सकारात्मक व नकारात्मक पहलुओं पर अपने विचार रखे. इस मौके पर सिटी एसपी रविरंजन कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया लोगों में सकारात्मक विकास के लिए है. इसके गलत उपयोग पर रोक लगाने के लिए मंथन जारी है. पुलिस-पब्लिक संबंध पर उन्होंने कहा कि पुलिस सप्ताह कार्यक्रम के जरिये भटके हुए लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है.
लोग अपराध नियंत्रण में पुलिस को सहयोग करें. कहीं भी गलत होने पर इसकी सूचना पुलिस पदाधिकारी को दें. कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल की प्राचार्य संयोगिता ने की. अतिथियों का स्वागत स्कूल के निदेशक उपेंद्र कुमार ने किया. संचालन डॉ राघवेंद्र गोस्वामी ने किया. इस प्रतियोगिता में बालक वर्ग में प्रिंस कुमार प्रथम, सत्यम कुमार द्वितीय व अमन सिन्हा तृतीय, अमन कुमार चौथे, आदर्श पांचवें व यशस्वी छठे स्थान पर रहे. बालिका वर्ग में पूजा पहले, दीप शिखा दूसरे व हर्षिता तीसरे, सोमी चौथे व शालिनी पांचवें स्थान पर ही. कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ.