नगर निगम ने बाजार में शौचालय के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है. शहर के भीड़ भाड़वाली जगहों पर लोग शर्मसार होते हैं. यह स्थिति तब है, जब दो चलंत शौचालय जीआरडीए कार्यालय मैदान में जंग खा रहे हैं. हालांकि अफसरों का कहना है कि उनकी हालत ठीक नहीं है. गया: पितृपक्ष मेला, बौद्ध महोत्सव […]
नगर निगम ने बाजार में शौचालय के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है. शहर के भीड़ भाड़वाली जगहों पर लोग शर्मसार होते हैं. यह स्थिति तब है, जब दो चलंत शौचालय जीआरडीए कार्यालय मैदान में जंग खा रहे हैं. हालांकि अफसरों का कहना है कि उनकी हालत ठीक नहीं है.
गया: पितृपक्ष मेला, बौद्ध महोत्सव व अन्य आयोजनों को ध्यान में रखते हुए नगर निगम ने दो चलंत शौचालय बनवाये थे. उसकी मंशा दूर-दराज से आनेवाले लोगों को सहूलियत देने की थी. इस पर उसने प्रति शौचालय लगभग चार लाख रुपये भी खर्च किये. लेकिन, दोनों शौचालय जिला विकास प्राधिकार के कार्यालय परिसर में यों ही खड़े हैं. अफसरों का यह जानते हुए भी इस पर ध्यान नहीं जाता है कि किसी भीड़-भाड़वाली जगह पर उसे रखवा देने से उसका सदुपयोग भी होगा और लोगों की फजीहत भी नहीं होगी. साथ ही साथ, साफ-सफाई भी बनी रहेगी. लेकिन, उन्हें न आठ लाख की फिक्र है, न लोगों की फजीहत की चिंता. साफ-सफाई से तो उनका दूर-दूर तक वास्ता ही नहीं है.
अभी क्या है शहर का सूरत-ए-हाल : गया शहर में केपी रोड व केदारनाथ मार्केट सबसे ज्यादा भीड़वाला इलाका है. खरीदारी करनेवालों में पुरुष व महिलाएं दोनों आते हैं. जरूरत पड़ने पर दोनों की फजीहत होती है. अंतर सिर्फ इतना है कि पुरुष खुले में कहीं काम चला लेते हैं, पर महिलाएं परेशान हो जाती हैं.
स्मार्ट सिटी बनने के लिए आतुर शहर के लिए यह कितना शर्मनाक है.
खुले में शौच करते हैं लोग : निगम ने आठ लाख रुपये खर्च कर दो चलंत शौचालय का निर्माण करवाया था. लेकिन, दोनों साल में दो बार ही इस्तेमाल होते हैं. स्वच्छता अभियान व शौचालय निर्माण को लेकर अभी कितना हो-हंगामा हुआ. ये बड़ी-बड़ी बातें हुईं, लेकिन देशी-विदेशी पर्यटकों से समृद्ध शहर में अभी भी लोग पब्लिक प्लेस पर खुले में शौच करते हैं. सरकारी भवनों की दीवारों के पास मूत्र त्यागते हैं. हालांकि, लोगों ने अपने स्तर से शौचालय निर्माण के लिए काफी आवाज उठायी. धरना-प्रदर्शन भी किया. लेकिन, कुछ फायदा नहीं हुआ.