गया: तीन दिन से हड़ताल पर चल रहे एंबुलेंस ड्राइवरों व तकनीशियनों के खिलाफ स्वास्थ्य महकमा कड़ा कदम उठाने का मन बना चुका है. सिविल सर्जन डॉ कृष्ण मोहन पूर्वे ने जिले के सभी सरकारी अस्पतालों के प्रभारियों को एक पत्र जारी किया है. उन्होंने एंबुलेंसों के अस्पतालों में नहीं पहुंचने की स्थिति में उनके ड्राइवरों व तकनीशियनों के खिलाफ एफआइआर करने को कहा है. सीएस ने स्पष्ट कहा है कि एंबलुेंस जरूरी सेवा है. साथ ही, सभी गाड़ियां सरकार की संपत्ति हैं. इन्हें किसी भी स्थिति में आंदोलनकारी अपने कब्जे में नहीं रख सकते.
वैकल्पिक व्यवस्था में आ रही परेशानी
एंबुलेंस ड्राइवरों व तकनीशियनों के हड़ताल पर जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग वैकल्पिक इंतजाम की सोच रहे हैं, लेकिन मुश्किल यह है कि जिले के सभी एंबुलेंस जेपीएन अस्पताल में खड़े हैं. कर्मचारियों ने सभी गाड़ियां यहां खड़ी कर रखी हैं. इस वजह से अगर विभाग कोई दूसरा ड्राइवर जुगाड़ भी कर ले, तो कोई फायदा नहीं है.
आंदोलनकारियों का चैलेंज, खुद एफआइआर करें सिविल सर्जन
इधर, बिहार चिकित्सा एवं जनस्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला मंत्री चितरंजन सिंह ने कहा है कि सभी एंबुलेंस जयप्रकाश नारायण अस्पताल में लगे हैं. सिविल सर्जन खुद ही इस मामले में एफआइआर क्यों नहीं कराते. वह इस पूरे विवाद से बचना चाह रहे हैं और प्रखंड के प्रभारी पदाधिकारियों को आगे कर रहे हैं. श्री सिंह ने कहा कि अभी यह आंदोलन जारी रहेगा.
बांकेबाजार में हुई एफआइआर
सीएस के आदेश का पहला असर बांकेबाजार में ही देखने को मिल गया. बांकेबाजार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने थाने में एंबुलेंस के ड्राइवर उपेंद्र कुमार सिंह, तकनीशियन राजेश कुमार व रोशन कुमार के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराया है. उन्होंने कहा है कि 17 फरवरी को इन लोगों ने उन्हें 20 फरवरी से हड़ताल पर जाने की सूचना दी थी. 20 फरवरी को तीनों बिना सूचना के ही एंबुलेंस ले कर चले गये. बार-बार फोन किया गया, तो भी यह गाड़ी पीएचसी को लौटाने को तैयार नहीं हैं.