गया: मगध विश्वविद्यालय के अंगीभूत कॉलेजों के रिक्त पदों पर की गयी प्रधानाचार्यो की नियुक्ति के बाद उनका योगदान भी करा लिया गया. इसके बावजूद वे अब पदस्थापन के इंतजार में हैं. इस स्थिति में इनके वेतन का भुगतान कैसे किया जायेगा व इनके भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गयी हैं.
हालांकि, इस मामले में कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. नवनियुक्त प्रधानाचार्यो व उनके शुभचिंतकों का कहना है कि योगदान करने के बाद भी आधे से अधिक प्रधानाचार्य पर अब न घर के रहे और न घाट के. तत्कालीन कुलपति डॉ अरुण कुमार ने अपने कार्यकाल में प्रधानाचार्यो के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए दो बार साक्षात्कार की तिथि बढ़ने के बाद तीसरी बार 21 दिसंबर, 2012 से साक्षात्कार लिया गया था. इसमें वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ कुमारेश सिंह, जामिया मिलिया विवि के प्रो एस गुप्ता, लखनऊ विवि के प्रो नरेंद्र कुमार सिंह, कुलाधिपति के नामजद सदस्य डॉ बालेश्वर पासवान, गया कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ श्रीकांत शर्मा की उपस्थिति में साक्षात्कार लिया गया, जो 26 दिसंबर को समाप्त हुआ था.
साक्षात्कार होने के महीनों बाद सार्वजनिक तौर पर बिना अधिसूचना जारी किये ही कुलसचिव कार्यालय में नव नियुक्त प्रधानाचार्यो का योगदान करा लिया गया, लेकिन योगदान के कुछ ही दिन के बाद कुलपति डॉ अरुण कुमार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा हटा दिया गया. परिणामस्वरूप मामला अधर में लटक गया.
15 प्रधानाचार्यो की नियुक्ति
जीबीएम कॉलेज गया, महिला कॉलेज खगौल, जेएलएन कॉलेज खगौल, एमएम कॉलेज बिक्रम, दाउदनगर कॉलेज दाउदनगर, एएनएस कॉलेज नवीनगर, आरएलएस कॉलेज औरंगाबाद, एसडी कॉलेज कलेर, आरआरएस कॉलेज मोकामा, एसएन सिन्हा कॉलेज जहानाबाद, जगजीवन कॉलेज गया व कॉलेज ऑफ कॉमर्स कॉलेज पटना में प्रधानाचार्यो के रिक्त पदों के लिए साक्षात्कार लिये गये थे. पर, विडंबना यह है कि 12 रिक्त पदों के विरुद्ध 15 प्रधानाचार्यो की नियुक्ति कर ली गयी.
जानकारों का कहना है कि डॉ मदन मुरारी, डॉ वीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ विशुनदेव प्रसाद विद्यार्थी 30 जून तक अवकाश प्राप्त करने जा रहे हैं. इसलिए इन तीनों पद के भरने के लिए भी नियुक्ति की गयी. इन नियुक्त प्रधानाचार्यो में से कुछ लोग पहले भी प्रधानाचार्य के पद पर रह चुके हैं, लेकिन दूसरी बार में अयोग्य करार दे दिये गये थे. पर, इस बार येन- केन प्रकारेण प्रधानाचार्य बनने में सफल हो गये. इसके बावजूद मामला अधर में लटक गया.