अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम संयोजक डॉ केके नारायण ने कहा, ‘जमाना बदलना अगर चाहते हो, जमाने से पहले खुद को बदलना सीखो. मजारों के दीपक तो खुद जल उठेगें, घर के दीपक जलाना तो सीखो.’ उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद से पहले अध्यात्म कुछ खास लोगों के बीच सिमट कर रह गया था. स्वामी जी ने अध्यात्म से आम लोगों की दूरी को मिटाने का काम किया. डॉ नारायण ने कहा कि अनुशासन को ही धर्म कहा जाता है.
आज कुछ लोग अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए भ्रांतियां फैलाकर धर्म के माध्यम से आमजन को परेशान करने में लगे हैं. डॉ अरविंद कुमार सुनील के निर्देशन में कला भारती के छात्राओं ने कुलगीत व स्वागत गान प्रस्तुत किया. युवा महोत्सव में डॉ अनुरुद्ध सिंह, बर्सर डॉ इलियास, डाॅ इम्तियाज, डॉ बीएस पांडेय, डॉ गौतम कुमार, डॉ अटल कुमार, डॉ जावेद अशरफ, डॉ अवध तिवारी, डॉ सरिता वीरांगना, डॉ अनिल कुमार, डॉ आरकेपी यादव व डॉ एसी प्रसाद आदि मौजूद थे.