गया: एक अनार और सौ बीमार. यह कहावत सोनास गांव में इन दिनों चरितार्थ हो रही है. सोनास गांव के कई लोगों की नजर शंभु सिंह की बेशकीमती जमीन पर थी. उनकी जमीन पर गिद्ध दृष्टि आर्मी से रिटायर्ड पवित्र नारायण सिंह के सबसे छोटे बेटे विपिन सिंह व उनके परिवार के अन्य सदस्यों की थी.
इसके अलावे, सोनास गांव के ही रहनेवाले नवीन सिंह का परिवार भी शंभु सिंह की जमीन पर वर्षो पर नजर गड़ाये हुए था. पवित्र नारायण सिंह की पत्नी मोती राज देवी ने बताया कि करीब 25 वर्ष पहले शंभु सिंह करीब सात बिगहा जमीन का मालिक था.
इसकी सारी जमीन सोनास गांव में ही थी. लेकिन, आज वह सिर्फ एक बिगहा जमीन का मालिक है. हाल के वर्षो में शंभु सिंह ने कई लोगों के हाथों अपनी जमीन बेच थी. कुछ जमीन को उसने गिरवी भी रख दिया है. शंभु सिंह को जमीन बेचने की आदत व इसकी जमीन खरीदने की होड़ में गांव में कई लोगों के बीच आपस में विवाद होना शुरू हो गया. यह विवाद सुलझने के बजाय धीरे-धीरे बिगड़ता चला गया. आखिरकार जमीन के विवाद में सामूहिक हत्या जैसी घटना हुई.अपनी पांच पोतियों को खो चुकीं विपिन सिंह की मां मोती राज देवी बताती हैं कि केकरो से कोई जबरदस्ती जमीन कैसे ले लेतई बाबू. हमर मालिक को 1962 में आर्मी में नौकरी लगलो हल. ओही साल शंभु सिंह के जनम बा. शंभु सिंह सात बिगहा के मालिक हलई. लेकिन, ओकरा सिर पर जमीन बेचे के नशा सवार हलई.
जमीन गिरवी रख के पैसा लेके मौज-मस्ती करह हई. शंभु दो शादी करको हे. दूसरकी मेहरारू बड़ा खूब शौकीन हो. हमर छोटका बाबू विपिन से शंभु के वर्षो से बहुत लगाव रहलो हे. करीब 12 साल पहले शंभु दिल्ली रह हलो. वहां भी कोई लफड़ा करको हल. वहां ओकरा बंधक बना लेलको हल. तब हमर बाबू विपिन दिल्ली गेलो और वहां शंभु के 50 हजार रुपइया देलको, तब ओकर लफड़ा खतम होलो. विपिन ओकरा दिल्ली से घर लेके चल अइलो. श्रीमती देवी ने कहा कि करीब तीन साल पहिले शंभु हमरा से 10 हजार रुपइया उधार लेलको. एकर कागज पतर भी हो. शंभु अपन 10 कट्ठा जमीन हमरा पास गिरवी रख देलको. आज तक उ जमीन हमरा पास गिरवी हो.