आखिर कब तक लगेगा गया सेंट्रल जेल में जैमर!कॉलम-वेलकम 2016जेल में बंद हैं आम कैदियों के साथ-साथ कई कुख्यात अपराधी व शीर्ष नक्सली नेतान तो जेल अधीक्षक और न ही जिला प्रशासन ने की जैमर लगाने की दिशा में पहल वरीय संवाददाता, गयागया सेंट्रल जेल में बंद कुख्यात अपराधियों व नक्सलियों द्वारा मोबाइल फोन का प्रयोग किया जाना हमेशा सुर्खियों में रहता है. इस दिनों जेल में बंद कुख्यात संतोष झा को लेकर सेंट्रल जेल एक बार फिर चर्चा में है. दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या के मामले में संतोष झा का नाम सामने आने पर पुलिस मुख्यालय, पटना की निगाहेें सेंट्रल जेल पर टिक गयी हैं. पुलिस के वरीय अधिकारियों का मानना है कि लेवी की मांग पूरी नहीं होने पर संतोष झा के इशारे पर ही उनके शूटरों ने दोनों इंजीनियरों की हत्या की. करीब डेढ़ साल गया सेंट्रल जेल में बंद संतोष झा मोबाइल फोन के जरिये अपने नेटवर्क को कंट्रोल कर रहा था. सेंट्रल जेल में संतोष झा समेत कई अन्य कुख्यात अपराधी और भाकपा-माओवादी संगठन के शीर्ष नेता व हार्डकोर नक्सली बंद हैंं. यह भी सर्व विदित है कि सेंट्रल जेल से मोबाइल फोन के जरिये अपराधिक गिरोह के सरगना व माओवादी अपने-अपने नेटवर्क को कंट्रोल करते हैं. जेल में जब भी छापेमारी होती है, तो वहां बंद अपराधियों व नक्सलियों के पास से मोबाइल फोन व सिम कार्ड बरामद होते हैं. इन सभी घटनाओं में स्थानीय रामपुर थाने में एफआइआर दर्ज कर खानापूर्ति तो कर दी जाती है, लेकिन इन मामलों में जेल के वरीय अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती. यह भी ज्ञात है कि जेल के अंदर एक सूई भी जेल के वरीय अधिकारियों की अनुमति के बगैर नहीं जा सकती है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि जेल के अंदर मोबाइल फोन जैसा बड़ा सामान कैसे चला जाता है. जेल की सुरक्षा को लेकर हर अधिकारी लंबी-लंबी बातें करते हैं. जहानाबाद जेल ब्रेक कांड के बाद कई बार खुफिया एजेंसियों ने सरकार को अलर्ट किया है कि गया सेंट्रल जेल पर कभी भी हमला हो सकता है. करीब पांच वर्ष पहले गया सेंट्रल जेल पर हमला करने के उद्देश्य से भाकपा-माओवादी संगठन के सदस्य ने शास्त्रीनगर मुहल्ले में अत्याधुनिक हथियार के साथ जुटे थे. लेकिन, पुलिस की सतर्कता के कारण शास्त्रीनगर मुहल्ले से विकास शर्मा सहित पांच नक्सलियों को एके-47 व काफी संख्या में कारतूस के साथ गिरफ्तार किया था. ऐसी घटनाएं होने के बावजूद अब तक सेंट्रल जेल में जैमर लगाने की योजना अधर में लटकी हुई है. जैमर लगाना ही अंतिम उपाय : सिटी एसपी सिटी एसपी रविरंजन कुमार बताते हैं कि गया सेंट्रल जेल हर मामले में काफी महत्वपूर्ण है. यहां आम कैदियों के अलावा कई कुख्यात व माओवादियों के शीर्ष लीडर बंद हैं. पूर्व में हुई छापेमारी में मोबाइल फोन व सिम कार्ड बरामद होते रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि मोबाइल फोन के जरिये कुख्यात अपराधी व माओवादी जेल से ही अपने-अपने नेटवर्क को कंट्रोल करते हैं. इस पर अंकुश लगाने के लिए सेंट्रल जेल में जैमर लगाना बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि जैमर लगाने को लेकर जेल अधीक्षक को प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया गया है. साथ ही, इसके लिए डीएम को भी पत्र भेजा जायेगा. फेसबुक को लेकर फिर चर्चा में आया संतोष झाकुख्यात संतोष झा का मामला हाइ प्राेफाइल होने के बाद अब स्थिति यह हो गयी है कि जेल के अधिकारी या तो मोबाइल फोन रिसीव करना बंद कर दिये हैं या अपने मोबाइल फोन बंद रख रहे हैं. अब संतोष झा द्वारा अपने फेसबुक अकाउंट से मैसेज भेजे के मसले पर सिटी एसपी ने बताया कि यह कोई जरूरी नहीं है कि अपने फेसबुक को खुद संतोष झा ही अपडेट कर रहा है. उसके अकाउंट को कोई भी व्यक्ति कहीं से अपडेट कर सकता है. लेकिन, जेल के अंडा सेल में बंद संतोष झा द्वारा मोबाइल फोन के प्रयोग को गंभीरता से लिया गया है. गत 31 दिसंबर को जेल में छापेमारी कर अंडा सेल में बंद संतोष झा सहित अन्य बंदियों की तलाशी लगी गयी. लेकिन, संतोष झा के पास से मोबाइल फोन नहीं मिला. हालांकि, कागज पर लिखे कुछ मोबाइल नंबर जरूर मिले थे. उन मोबाइल नंबरों को वरीय अधिकारियों को भेज दिया गया है. जांच चल रही है.
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आखिर कब तक लगेगा गया सेंट्रल जेल में जैमर!
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