31.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार क्रिकेट को मान्यता दे बीसीसीआइ, नहीं तो आंदोलन : तिवारी

बिहार क्रिकेट को मान्यता दे बीसीसीआइ, नहीं तो आंदोलन : तिवारीफोटो- सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते एबीसी महासचिव मिथिलेश तिवारी.वरीय संवाददाता, गयाबिहार क्रिकेट को हर हाल में अब मान्यता मिलनी चाहिए. इस पर अब और समझौता नहीं किया जा सकता. हम एडहॉक स्टेटस से और संतुष्ट नहीं रह सकते. इसके लिए हम किसी […]

बिहार क्रिकेट को मान्यता दे बीसीसीआइ, नहीं तो आंदोलन : तिवारीफोटो- सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते एबीसी महासचिव मिथिलेश तिवारी.वरीय संवाददाता, गयाबिहार क्रिकेट को हर हाल में अब मान्यता मिलनी चाहिए. इस पर अब और समझौता नहीं किया जा सकता. हम एडहॉक स्टेटस से और संतुष्ट नहीं रह सकते. इसके लिए हम किसी भी स्तर पर बातचीत और समझौते के लिए तैयार हैं. अब जरूरी हो गया है कि क्रिकेट में इंटरेस्ट रखनेवाले सभी संगठन एक छत के नीचे आयें, ताकि एकजुट होकर बीसीसीआइ पर जोरदार दबाव डालकर बिहार क्रिकेट को नयी पहचान दिलायी जाये. बीते करीब डेढ़ दशक में बिहार में क्रिकेट को काफी नुकसान हो चुका है. आपसी लड़ाई ने बिहार क्रिकेट को क्षति पहुंचायी है. हमारे प्रतिभावान खिलाड़ी सुविधाओं व संभावनाओं से वंचित होते रहे हैं. इस पर और चुप रहना संभव भी नहीं है और ठीक भी नहीं. ये बातें एसोसिएशन ऑफ बिहार क्रिकेट (एबीसी) के महासचिव व बैकुंठपुर के विधायक मिथिलेश तिवारी ने शनिवार को यहां कहीं. वह सर्किट हाउस में मीडिया के लोगों से बातचीत कर रहे थे. सरकार की तरफ से हो पहलश्री तिवारी ने कहा कि निजी स्तर पर वह क्रिकेट के लिए कहीं भी जाने को तैयार हैं. बिहार क्रिकेट एसाेसिएशन (बीसीए) के अध्यक्ष व राज्य के वित मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी तथा क्रिकेटर रह चुके उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि इन्हें चाहिए कि ये भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पहल करें, ताकि सूबे में क्रिकेट का दृश्य बदले. उनकी राय में इस मसले पर खेल मंत्रालय को आगे आना चाहिए. सूबे के खेल मंत्री की तरफ से भी पहल होनी चाहिए. युवा विधायक श्री तिवारी ने कहा कि इसके बाद भी अगर बात नहीं बनती है, तो जबरदस्त आंदोलन का ही विकल्प बचता है. यह कि वह और उनके साथी-सहयोगी इस रास्ते पर भी जाने को तैयार हैं. उन्होंने बिहार की तुलना गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल व झारखंड से करते हुए कहा कि गुजरात व महाराष्ट्र में चार-चार क्रिकेट एसोसिएशन को मान्यता है और हमें एक को नहीं. वर्ष 2000 में अलग हुए झारखंड से तुलना में श्री तिवारी ने कहा कि बीते 15 वर्षों में ही झारखंड ने अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है और हम जहां के तहां रह गये हैं. हमारे पास ढंग का एक स्टेडियम तक नहीं है. इस सिलसिले में उन्होंने गया को अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक स्टेडियम के लिए उपयुक्त जगह बताते हुए कहा कि इस मसले को विधानसभा में भी उठाया जायेगा. प्रथम श्रेणी क्रिकेट से कब तक रहेंगे वंचितविधानसभा में बैकुंठपुर के प्रतिनिधि श्री तिवारी ने कहा कि आखिर बिहार के प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कब तक जगह मिलेगी, यह किसी को पता नहीं. दूसरे राज्यों से कई-कई खिलाड़ी रणजी में हाथ आजमा रहे होते हैं, जबकि हमारे प्रतिभावान खिलाड़ी भी उन्हें सिर्फ टीवी पर खेलते देख रहे होते हैं. यह बिहारी प्रतिभाओं के साथ अन्याय है, उनकी उपेक्षा है. 12 वर्षों में कराया 4500 क्रिकेट टूर्नामेंटएबीसी के महासचिव श्री तिवारी ने कहा कि वह बचपन से ही खेल से जुड़े हैं. क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़कर 2002 से 2013 तक बिहार में 4500 क्रिकेट मैच कराये हैं. यह बिहार के लिए एक रिकॉर्ड है. इसके साथ ही 2009 में उनके एसोसिएशन ने क्रिकेट से लाकर 20 लाख रुपये कोसी बाढ़ के समय मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में उनलोगों ने दान किया. दूसरी तरफ, बीसीसीआइ ने पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की अगुवाई वाले बीसीए को 50 लाख रुपये क्रिकेट के भले के लिए दिया, जिसका उपयोग क्रिकेट की जगह केस लड़ने में हो गया. अब इसी मामले की विजिलेंस जांच हो रही है. अब तक इसी तरह बिहार में क्रिकेट चलता रहा है. इससे पहले एबीसी के जिलाध्यक्ष संजू लाल व जिला सचिव निरंजन कुमार आदि ने संगठन के महासचिव श्री तिवारी का यहां स्वागत किया. इनके बीच क्रिकेट से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत बातचीत भी हुई.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें