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कहां गये एंटी रैबीज के 200 वैक्सीन?

कहां गये एंटी रैबीज के 200 वैक्सीन?कुव्यवस्था. जेपीएन अस्पताल में जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा वैक्सीनहक जताने पर मरीजों को मिल रही है कर्मचारियों की डांट-फटकार अस्पताल के अनिल शर्मा के विरुद्ध पीड़ित ने दर्ज करायी थाने में शिकायतडीएम से भी लगायी न्याय की गुहार, दोषी पर कार्रवाई की मांग संवाददाता, गयासिविल सर्जन ऑफिस के […]

कहां गये एंटी रैबीज के 200 वैक्सीन?कुव्यवस्था. जेपीएन अस्पताल में जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा वैक्सीनहक जताने पर मरीजों को मिल रही है कर्मचारियों की डांट-फटकार अस्पताल के अनिल शर्मा के विरुद्ध पीड़ित ने दर्ज करायी थाने में शिकायतडीएम से भी लगायी न्याय की गुहार, दोषी पर कार्रवाई की मांग संवाददाता, गयासिविल सर्जन ऑफिस के सेंट्रल स्टोर से 24 घंटे पहले जयप्रकाश नारायण (जेनीएन) अस्पताल को एंटी रैबीज के 200 वैक्सीन जारी किया गया, लेकिन मंगलवार की सुबह अस्पताल पहुंचे करीब आधे दर्जन जरूरतमंदों को बैरंग वापस लौटा दिया गया. कहा गया कि अस्पताल में एंटी रैबीज वैक्सीन नहीं है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर 200 वैक्सीन कहा गये? इस बाबत सामाजिक कार्यकर्ता विनय कुशवाहा ने सिविल सर्जन डॉ कृष्ण मोहन पूर्वे से बात की, तो पता चला कि अस्पताल में पर्याप्त संख्या में वैक्सीन उपलब्ध है. अस्पताल में दोबारा लौट कर उन्होंने वैक्सीन देने का अनुरोध किया गया, तो डांट-फटकार व धक्का-मुक्की कर भगा दिया गया. ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है. हक जताने वाले मरीजों के साथ अक्सर ऐसा ही सलूक किया जाता है. यह जान कर सामाजिक कार्यकर्ता ने अस्पताल के अनिल शर्मा नामक कथित कर्मचारी के विरुद्ध कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज करायी है. साथ ही, डीएम को आवेदन देकर उन्होंने कथित कर्मचारी पर ‘नेता बनते हो’ कहते हुए गाली-गलौज व धक्का-मुक्की करने की बात कही है. उन्होंने इस मामले की जांच करा कर कथित कर्मचारी के विरुद्ध अविलंब कार्रवाई करने की मांग की है.इस मामले को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के जिलाध्यक्ष सुनील कुमार कुशवाहा ने गंभीरता से लेते हुए कहा है कि अनिल शर्मा नामक कर्मचारी गत 16 वर्षों से जेपीएन अस्पताल में कार्यरत है. पूरे अस्पताल पर उसका वर्चस्व है. मरीज ही नहीं, वहां के कर्मचारी व अस्पताल प्रबंधक भी उससे डरते हैं. मरीजों से अवैध रूप से पैसे लेकर ही ऐटी रैबीज वैक्सीन उपलब्ध कराना उसकी नियति बन गयी है. इससे पहले पैसे लेकर इंज्यूरी रिपोर्ट में हेरा-फेरी करने का कई बार आरोप लग चुका है. अविलंब कार्रवाई करते हुए अस्पताल से उसे नहीं हटाया गया, तो पार्टी जनआंदोलन करने को मजबूर होंगे.उल्लेखनीय है कि रैबीज वायरल बीमारी है. यह वायरस संक्रमित जानवरों के लार में पाया जाता है. यह वायरस किसी संक्रमित जानवर (कुत्ता आदि) के काटने, खरोचने या कटी त्वचा के चाटने से मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है, जो बाद में सीधे मस्तिष्क पर हमला करता है. मस्तिष्क में संक्रमण होने पर रोगी को बचा पाना लगभग असंभव हो जाता है. इससे बचाव के लिए किसी जानवर के काटने पर पहले दिन से एंटी रंबीज वैक्सीन दिया जाता है. जनहित में सभी सरकारी अस्पतालों में इस महंगी वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चत करायी गयी है, ताकि इस बीमारी से किसी की मौत न हो, पर, इस तरह मरीजों को डांट-फटकार कर अस्पताल से भगा देना एक गंभीर मामला है. ऐसे में रैबीज बीमारी से मरीज की मौत के लिए जिम्मेवार कौन होगा?मरीज के अस्पताल आने के समय नहीं था वैक्सीन जिस समय मरीज लोग अस्पताल में आये थे, उस समय एंटी रैबीज वैक्सीन उपलब्ध नहीं था. हालांकि, बाद में सेंट्रल स्टोर से 200 वैक्सीन रिसीव कर लागा गया. 200 वैक्सीन तो दो दिन में ही समाप्त हो जाती है. आये दिन वैसे लोग भी एंटी रैबीज वैक्सीन दिलाने आ जाते हैं, जिन्हें उनका घरेलू पप्पी काट लेता है.डॉ संजय कुमार सिंह, प्रभारी उपाधीक्षक, जेपीएन अस्पताल, गयापूरे मामले की होगी जांच, फिर होगी कार्रवाई हाल ही में 2500 एंटी रैबीज वैक्सीन मंगाया गया है. जेपीएन अस्पताल को भी पर्याप्त संख्या में वैक्सीन मुहैया कराया गया है. सोमवार को ही अस्पताल को 200 वैक्सीन दोबारा दिया गया. ऐसे में वैक्सीन उपलब्ध नहीं रहने का सवाल कहां से उठता है? इस मामले की जांच करा कर दोषी पर कार्रवाई की जायेगी.डॉ कृष्णमोहन पूर्वे, सिविल सर्जन, गया

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