गया: एड्स लाइलाज अवश्य है, पर अंकुश लगाना असंभव नहीं है. आम आदमी को एड्स संबंधी बेसिक जानकारी देकर आसानी से काबू पाया जा सकता है. पर, इसके अभाव में कोयले की खान में लगी आग की तरह बड़ी तेजी से समाज में फैलता जा रहा है. इसका दर्द सिर्फ पीड़ित परिवार ही महसूस कर पाते हैं. दूसरों को भनक तक नहीं लग पाता है.
इसका सहज अनुमान एएनएमएमसीएच स्थित एआरटी सेंटर में एड्स मरीजों की लंबी फेहरिस्त देख कर लगाया जा सकता है. 2010 से अब तक इस सेंटर में 2992 एचआइवी पॉजिटिव(प्री-एआरटी) का पंजीकरण किया जा चुका है.
इनमें दवा ले रहे(ऑन एआरटी) लोगों की संख्या 1769 है. दिसंबर 2012 में प्री-एआरटी 2264 व ऑन एआरटी 1239 थी. दिसंबर 2011 में ऑन एआरटी 843 व दिसंबर 2010 में मात्र 550 थी. इस प्रकार चार सालों में 1219 नये लोग एड्स के मरीज बने हैं. इसमें गया के अलावा नवादा, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, भभुआ व रोहतास जिले के मरीज भी शामिल हैं.