गया: शहर से लेकर गांवों तक में इन दिनों शहनाई की गूंज खूब सुनाई दे रही है. शाम होते ही शहर के एक ही मुहल्ले में ‘मेरे याद की शादी है’.., तो ‘मुन्नी बदनाम हुई’.. पर लोग के पांव थिरक रहे हैं. शहर की गलियों व मुहल्लों में बरातियों व बैंड बाजों पर झूमते लोगों का रेला है. असल में ऐसा समय के बदलते दौर के कारण हुआ है.
लोग शादियां अपने घर से करने के बजाय होटलों, धर्मशालाओं व फर्म हाउस से करना पसंद कर रहे हैं. महीनों पहले से इनकी बुकिंग है. इस दौर में लोगों ने जब जैसा रुख देखा, वैसा ही रुख अख्तियार कर लिया. अब ऐसे में शादी-ब्याह हो और बदलाव न आये, ये तो संभव ही नहीं. दूल्हे व दुल्हन तक अपनी शादी को यादगार बनाना चाहते हैं.
समय की मांग को देखते हुए मैरेज हॉल व धर्मशाला वाले भी तैयारियां कर रहे हैं. दुल्हन व दूल्हा के परिवार वालों को सज-धज सिर्फ आना हैं. बाकी सब तैयारी होटल, मैरिज हॉल व धर्मशाला के आयोजकों पर छोड़ दें. लेकिन लग्न में मांग बढ़ते ही इनके और इनके आयोजन में लगने वाली जरूरी वस्तुओं के भाव भी बढ़ गये हैं. इतना ही नहीं शादी-ब्याह को लेकर गाड़ियों व उसकी सजावट भी जेब पर भारी पड़ने लगे हैं.
खरमास बाद आठ मार्च तक लगन
संवत 2070 में 18 नवंबर से शुरू हुई विवाह-शादी का लगन आठ मार्च तक है. आचार्य लाल भूषण मिश्र याज्ञिक के मुताबिक, इस बीच 28 नवंबर, 15 दिसंबर, तीन जनवरी, 10 व 20 फरवरी, दो, सात व आठ मार्च को अच्छी मुहूर्त है. इन तिथियों में दिन रात का लगन है. बाकी दिनों में भी लगन है, पर शुभ लगन का समय बीच-बीच में आते-जाते रहेगा.