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कर्लिोस्कर प्रोजेक्ट-1

किर्लोस्कर प्रोजेक्ट-1साढ़े 12 करोड़ गटके, पर प्यास अधूरीकिर्लोस्कर नामक कंपनी के जिम्मे था वाटर सप्लाइ का काम : फ्लैग पंतनगर, मधुसूदन व बक्सुबिगहा काॅलोनियों में पानी की स्थिति खराबआरओ मशीन भी हो जाती हैं फेल, 2007 से लटका है वाटर सप्लाइ प्रोजेक्ट पाइपलाइन बिछाये गये, पर मुहल्लों में नहीं दिये गये कनेक्शन संवाददाता, गया गया […]

किर्लोस्कर प्रोजेक्ट-1साढ़े 12 करोड़ गटके, पर प्यास अधूरीकिर्लोस्कर नामक कंपनी के जिम्मे था वाटर सप्लाइ का काम : फ्लैग पंतनगर, मधुसूदन व बक्सुबिगहा काॅलोनियों में पानी की स्थिति खराबआरओ मशीन भी हो जाती हैं फेल, 2007 से लटका है वाटर सप्लाइ प्रोजेक्ट पाइपलाइन बिछाये गये, पर मुहल्लों में नहीं दिये गये कनेक्शन संवाददाता, गया गया शहर स्थित माड़नपुर बाइपास के बाद बसे पंतनगर, मधुसूदन कॉलोनी व बक्स़ुबिगहा आदि नयी कॉलोनियों में रहनेवाले लोग सालों भर पानी के लिए तरसते हैं. यह ड्राइ जोन तो नहीं, लेकिन ड्राइ जोन से कम भी नहीं है. क्योंकि, यहां का पानी पीया नहीं जा सकता. बोरिंग का पानी पूरी तरह खराब है. घर में लगी आरओ मशीन भी कुछ ही दिनों में खराब हो जाती हैं. कुल मिला कर आखिरी उम्मीद सप्लाइ वाटर पर है, पर वह उपलब्ध नहीं है. स्थानीय लोग कहते हैं कि 2007-08 में इस इलाके में भी किर्लोस्कर प्रोजेक्ट के तहत मुख्य सड़क पर पाइपलाइन बिछायी गयी, लेकिन उसका कनेक्शन मुहल्लों में नहीं दिया गया. लोग कहते हैं कि वह खुद से भी पाइप जोड़ सकते थे, लेकिन मुश्किल यह है कि मेन पाइप में भी पानी नहीं आता, यानी सिर्फ पाइप बिछा है. किर्लोस्कर प्रोजेक्ट में हुई लापरवाही का नतीजा भोग रहे कई और मुहल्ले उदाहरण हैं. मुस्तफाबाद में छह महीने से सप्लाइ बंद है. रामपुर, एपी कॉलोनी, चिरैयाटांड़, गेवाल बिगहा, पुलिस लाइन, चाणक्यपुरी कॉलोनी तमाम इलाके 2007 के बाद से ही यह परेशानी झेल रहे हैं. कभी कई-कई दिन तक पानी बंद हो जाता है, तो कभी पाइप फट जाने से हजारों लीटर पानी यों ही बरबाद हो जाता है.2007 का प्रोजेक्ट, 2008 में होना था पूरा2007 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी. पीएचइडी की मॉनीटरिंग में किर्लोस्कर ब्रदर्स को काम करने का टेंडर दिया गया. साढ़े 12 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट को 2008 में पूरा हो जाना था. एक साल तक तो पूरा प्रोजेक्ट फाइलों में ही उलझा रहा. कभी खनन विभाग, तो कभी पीएचइडी से एनओसी लेने में ही कंपनी उलझी रही. इसके बाद काम शुरू हुआ, लेकिन हकीकत सामने ही है. टेंडर होने के आठ साल बाद अब भी काम पूरा नहीं हो सका है. कंपनी भी ब्लैकलिस्टेड हो चुकी है.प्रोजेक्ट से जोड़े गये इलाकेपुलिस लाइन सिंगरा स्थान, गेवाल बिगहा, गया कॉलेज एरिया, रामपुर, चिरैयाटांड़, सिकरिया मोड़, एपी कॉलोनी, चाणक्यपुरी कॉलोनी, मुस्तफाबाद, बैंक कॉलोनी, बाजार समिति, पंतनगर, मधुसूदन कॉलोनी, मानपुर व अन्य.आखिर ब्लैकलिस्टेड करने का क्या फायदा ?इस प्रोजेक्ट के फेल होने पर जब भी किसी अधिकारी से बात होती है, तो वह सीधे कहते हैं कि कंपनी को तो ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया है. उस कंपनी को अब बिहार में कोई काम नहीं मिलेगा. ठीक है बात समझ आती है, कंपनी काम नहीं करेगी. लेकिन, इससे महत्वपूर्ण जो मसला है, उस पर कोई भी बोलना नहीं चाहता. जिस कंपनी ने जनता के साढ़े 12 करोड़ रुपये बरबाद कर दिये, क्या उस कंपनी को ब्लैकलिस्टेड कर देने से उसका अपराध खत्म हो जायेगा ? मॉनीटरिंग में लगे अधिकारी जिम्मेवार क्यों नहीं ?इस पूरे प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग जिन अधिकारियों के जिम्मे थी, वह दोषी क्यों नहीं ? उनसे यह सवाल क्यों नहीं पूछा जाता कि इन गड़बड़ियों पर उनकी नजर क्यों नहीं थी ? या फिर यह मान लिया जाये कि इस गड़बड़ी में वे भी बराबर के हिस्सेदार हैं. अगर, हां तो फिर उन्हें सजा क्यों नहीं ? हर छोटी घटना में जांच कमेटी तैयार हो जाती है, तो फिर अब तक इस प्रोजेक्ट पर कोई जांच क्यों नहीं ? सवाल कई हैं, जो शहर के लोगों के मन में हैं. लोग जानना चाहते हैं कि इस लूट का असल जिम्मेवार कौन है? अधिकारियों के साथ होगी बैठककिर्लोस्कर प्रोजेक्ट के फेल होने से शहर में मुश्किलें आ रही हैं. यहां के लोगों से जानकारी मिली है. कंपनी को ब्लैकलिस्टेड तो कर दिया गया है, लेकिन मसला यह है कि लोगों को पानी कैसे मिले. जल्द ही पीएचइडी के तमाम वरीय पदाधिकारियों और यहां के लोगों के साथ बैठक कर इस समस्या का समाधान निकाला जायेगा. कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, मंत्री

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