फिर से जय जवान जय किसान के नारा लगाव…मगही प्रचारणी सभा के तत्वावधान में हुई मगही कवि गोष्ठीसंवाददाता, गयामगही प्रचारणी सभा के तत्वावधान में सोमवार को सम्मेलन भवन में मगही कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ. इस दौरान कई कवियों ने अपनी कविता के माध्यम से अपने-अपने विचार रखे. इस दौरान सबसे पहले संजीत कुमार ने अपनी कविता का पाठ किया. उन्होंने अपनी मगही कविता में कहा कि ‘सुनौलन न जाने कहां गेल भईया हमनी के छोड़ के, नजरों न पड़ हई अब कहिओ कउनो मोड़ पे’. नंद किशोर सिंह ने किसान गीत सुनाया और कहा ‘गांव से शहर में पलायन घटाव, फिर से जय जवान जय किसान के नारा लगाव’. नवीन नवनीत ने कहा कि ‘सुते कइसे भूखले, कराह गीत सुन ले, नाचे खातीर हमरा से बिआह गीत सुन ले’. राजीव रंजन ने पढ़ा ‘जेतना सोझराव ही, ओतने अझुरावऽ हे, जिनगी के इ पहेली समझ में न आव हे’. डॉ आरके राजन ने ‘दुनियावालन ताकते रह’ कविता सुनायी. सुधीर कुमार सिंह ने कहा ‘तू एतना काम कर द कि पियासल के पानी पियावल करह’. राजेंद्र राज ने भी पानी पर कविता कही. उन्होंने कहा कि ‘पानी देव हे जीवनदान, एकरा से न कउनो अंजान’ संतोष कुमार क्रांति ने कहा ‘धरती पर भगवान कठपुतली बनाव हऽ, अप्पन तरीका से दुनिया चलाव ह’ टोला–टाटी के संपादक सुमंत मजूर के खुशहाल जिंदगी की कामना करते कहा ‘मिल हे ढाई सौ मजदूरिया, जिनगी चकचक कट हे’. सुरेंद्र सिंह ने मगही गजल सुनायी ‘नेह बाटे से तो नेह बढ़वे करत, नेह के देह तो और निखरवे करते’. डॉ राम सिंहासन सिंह ने कहा ‘बरसाती जल में नहा के तन–मन सजा के देख शरद रितु अाइल’. मगही प्रचारणी सभा के अध्यक्ष डॉ रामकृष्ण ने कहा ‘कपसल के भरल आंख के पानी नियन ही हम, कहलो न हाल जाये कहानी नियन ही हम’.
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फिर से जय जवान जय किसान के नारा लगाव…
फिर से जय जवान जय किसान के नारा लगाव…मगही प्रचारणी सभा के तत्वावधान में हुई मगही कवि गोष्ठीसंवाददाता, गयामगही प्रचारणी सभा के तत्वावधान में सोमवार को सम्मेलन भवन में मगही कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ. इस दौरान कई कवियों ने अपनी कविता के माध्यम से अपने-अपने विचार रखे. इस दौरान सबसे पहले संजीत कुमार ने […]
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