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दो उत्प्रेरकों ने दिया इस्तीफा
गया : शिक्षा विभाग के भारत साक्षरता मिशन में चार व्यक्ति एक साथ दो-दो पद पर कार्यरत रह कर नियमित रूप से मानदेय लेते रहे हैं. इसमें चार व्यक्ति इनमें आमस में मो नासिर प्रेरक व केआरपी, बेलागंज में प्रवीण कुमार प्रेरक व केआरपी, संतोष संगम शेरघाटी में प्रेरक व डुमरिया में केआरपी व मोहनपुर […]
गया : शिक्षा विभाग के भारत साक्षरता मिशन में चार व्यक्ति एक साथ दो-दो पद पर कार्यरत रह कर नियमित रूप से मानदेय लेते रहे हैं. इसमें चार व्यक्ति इनमें आमस में मो नासिर प्रेरक व केआरपी, बेलागंज में प्रवीण कुमार प्रेरक व केआरपी, संतोष संगम शेरघाटी में प्रेरक व डुमरिया में केआरपी व मोहनपुर में नवीन कुमार प्रेरक व केआरपी पद पर कार्यरत हैं.
इस मामले का उजागर होने के बाद डीपीओ, साक्षरता के आदेश पर आमस व डुमरिया के उत्प्रेरकों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है. इस कार्रवाई को छात्र समागम ने दो-दो पद व मानदेय का लाभ लेने वालों पर अधूरी कार्रवाई माना है. इस मामले को लेकर छात्र समागम ने पूर्व में जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की थी.
छात्र समागम प्रवक्ता आशीष नंदन कुमार ने कहा है कि शिक्षा विभाग खास कर साक्षरता में अधिकारियों की मिलीभगत से सबकुछ ठीक नहीं है.
जांच की जाये, तो अधिकारी के साथ कई अधिकारी के कारगुजारियों का खुलासा होगा. उन्होंने कहा है कि जो व्यक्ति एक से अधिक पद पर कार्यरत रहकर इसका लाभ लेते रहे हैं, उन पर मुकदमा दर्ज कर कार्यावधि में दिये गये वेतन को वापस लिये जाये. इसके साथ इसमें जिन अधिकारियों की मिलीभगत सामने आये, उन पर भी कार्रवाईकी जाये.
गौरतलब है कि कई वर्षों से एक व्यक्ति दो पद पर कार्यरत रहकर दोनों पद का मानदेय प्राप्त कर रहा था. एक पद से इस्तीफा देने के बाद विभाग व वह व्यक्ति वित्तीय अनियमितता व अन्य आरोपों से मुक्त हो जाता है. जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार के साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत प्रखंड
प्रेरक व मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत केआरपी (की रिसोर्स पर्सन) की 2011 में बहाली सभी प्रखंडों में की गयी थी. पर, हाल यह रहा कि चार प्रखंड में एक ही व्यक्ति दोनों पद पर कार्यरत हैं.
जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय को इसकी जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई के नाम पर चारों व्यक्तियों से महज पांच माह पहले स्पष्टीकरण मांग कर अपना पल्ला झाड़ लिया गया. इस मामले में जून, 2015 में छात्र समागम द्वारा जिलाधिकारी को पत्र देकर जांच की मांग की गयी थी. डीपीओ (माध्यमिक शिक्षा) को जांच की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. पर, जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गयी.
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