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बिहार के भी चार कैडेट्स बने सैन्य अधिकारी

बिहार के भी चार कैडेट्स बने सैन्य अधिकारीहरियाणा के ध्रुव कटारिया को मिला गोल्ड मेडलटेक्निकल इंट्री स्कीम में मिला जुबिट जस्टिन को सल्विर व विकास सिंह को ब्रॉन्ज मेडलफोटो- सनत 50 ध्रुव कटारिया, 61- जुबिट जस्टिन, 53- विकास सिंह मुख्य संवाददाता, गयाओटीए में पासिंगआउट परेड के दौरान बेहतर प्रदर्शन करनेवाले जेंटलमैन कैडेट्स को विभन्नि क्षेत्र […]

बिहार के भी चार कैडेट्स बने सैन्य अधिकारीहरियाणा के ध्रुव कटारिया को मिला गोल्ड मेडलटेक्निकल इंट्री स्कीम में मिला जुबिट जस्टिन को सल्विर व विकास सिंह को ब्रॉन्ज मेडलफोटो- सनत 50 ध्रुव कटारिया, 61- जुबिट जस्टिन, 53- विकास सिंह मुख्य संवाददाता, गयाओटीए में पासिंगआउट परेड के दौरान बेहतर प्रदर्शन करनेवाले जेंटलमैन कैडेट्स को विभन्नि क्षेत्र में बेहतर प्रदशर्न के लिए गोल्ड, सल्विर व ब्रॉन्ज मेडल से सम्मानित किया गया. सेना में अफसर बननेवालों में चार बिहार के, जबकि एक झारखंड के हैं.पासिंगआउट परेड के दौरान सेना के पश्चिम कमान के कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह ने बेहतर प्रदर्शन करनेवाले सैन्य अधिकारियों को मेडल पहनाया. टेक्निकल इंट्री स्कीम (टीइएस) के ध्रुव कटारिया को ओवरअॉल बेस्ट परफॉरमेंस के लिए गोल्ड मेडल व शॉर्ड अॉफ अॉनर दिया गया. टीइएस के ही जुबिट जस्टिन को सल्विर व विकास सिंह को ब्रॉन्ज मेडल से नवाजा गया. स्पेशल कमीशन अधिकारी (एससीओ) में बेहतर प्रदर्शन करनेवाले अभिनव कुमार को ब्रॉन्ज मेडल मिला. फौज जैसा दूसरा आर्गेनाइजेशन नहींटीइएस में गोल्ड मेडल विजेता ध्रुव कटारिया ने बताया कि वह गुड़गांव (हरियाणा) का रहनेवाले हैं. उनके पिता बीएस कटारिया सेना में ही दल्लिी में कर्नल हैं. माता इंदुबाला गृहिणी हैं. ध्रुव ने 2012 में ओटीए, गया में टीइएस की एक साल की ट्रेनिंग पाकर मिलिटरी इंजीनियरिंग कॉलेज, पुणे से तीन साल तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. अब पुणे से ही एक साल का बी-टेक भी करेंगे. उनकी पोस्टिंग 2/8 गोरखा राइफल में हुई है. पिता ने बताया कि फौज जैसा दूसरा कोई आर्गेनाइजेशन नहीं है. यहां कुछ कर गुजरने का जज्बा है, अनुशासन है. इसीलिए उन्होंने बेटे को भी फौज में भेजा. टीइएस में सल्विर मेडल प्राप्त जुबिट जस्टिन रैंडरमा (केरल) का रहनेवाले हैं. जुबिट के पिता ने बताया कि वह सैन्य स्कूल में शक्षिक हैं. अपने आस-पास सैन्य अफसर को देख इच्छा होती थी कि उनका बेटा भी सेना का अधिकारी होता. यह सपना आज पूरा हो गया. जुबिट ने मिलिटरी इंजीनियरिंग कॉलेज (एमइसी), सिकंदराबाद से तीन साल की पढ़ाई की है. अब वह एक साल के लिए बी-टेक करने जायेगा.टीइएस में ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त विकास सिंह हिसार (हरियाणा) का रहनेवाले हैं. पिता ओमप्रकाश नेवी से सेवानिवृत्त हैं. पासिंगआउट समारोह में विकास के पिता के अलावा माता विमला देवी व बहन डॉ वनिता कुमारी भी आयी थीं. ओमप्रकाश ने बताया कि इन दिनों उनका परिवार मुंबई में रहता है. विकास ने बताया कि एमइसी सिकंदराबाद से तीन साल की पढ़ाई पूरी की. एक साल की बेसिक ट्रेनिंग ओटीए,गया से ली. स्पेशल कमीशन अधिकारी (एससीओ) में बेहतर प्रदर्शन करनेवाले ब्रॉन्ज मेडल विजेता अभिनव कुमार दल्लिी के रहनेवाले हैं. पिता दयाराम आर्मी में सीनियर कंप्यूटर टीचर हैं. मां सुमन देवी गृहिणी हैं. पिता की इच्छा थी कि उनका बेटा सेना में अधिकारी बने. अभिनव ने बताया कि 2005 में उन्होंने आर्मी में बतौर सिपाही के रूप में ज्वाइन किया था, पर इच्छा थी कि अधिकारी बनूं. कंपीटीशन पास किया और आज लेफ्टिनेंट का बैज लगा कर अच्छा महसूस कर रहा हूं. लेकिन, यह मंजिल नहीं, आगे और भी बड़े पद पर जाना चाहता हूं. उनकी पोस्टिंग पश्चिम बंगाल में हुई है.सैन्य अधिकारियों में बिहार के चार व झारखंड के एकभागलपुर के नवगछिया के रहनेवाले किसान देवेंद्र चौधरी के बेटे चिरंजीवी कुमार शनिवार को उनके सामने लेफ्टिनेंट बन कर खड़े थे. बेटे को सैन्य अफसर की वरदी में माता-पिता फुले नहीं समा रहे थे. चार भाई-बहनों में चिरंजीवी सबसे छोटा है. बड़े भाई सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर हैं. चिरंजीवी ने बताया कि फौज में अफसर बनना उनका सपना था, जो आज पूरा हो गया. उसकी पोस्टिंग 194 फल्डि रेजिमेंट आर्टिलरी फरीदकोर्ट (पंजाब) में हुई है. पिता देवेंद्र चौधरी ने कहा कि अपने दोनों सपूतों को देश की सेवा में लगा दिया है, जिसका उन्हें गर्व है.कटिहार के कोढ़ा थाना के खिरिया गांव का रहनेवाले शिवजी सिंह के पुत्र रमन केसरी ने 2012 में ओटीए, गया में टीइएस का बेसिक ट्रेनिंग करने के बाद एमइसी, सिकंदराबाद से तीन साल की इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर टेक्निकल सैन्य अफसर बन गये. पिता शिवजी सिंह ने बताया कि रमन सैनिक स्कूल में पढ़ता था, तभी से वह सेना का अधिकारी बनने का इच्छा व्यक्त करता था. आज वह सैन्य अधिकारी बन गया है. उनके साथ मां सुमत्रिा देवी भी आयी थीं.बक्सर के कवई बोझ गांव के रहनेवाले बसंत कुमार पाठक के पुत्र शुभम पाठक टीइएस की पढ़ाई पूरी कर सैन्य अफसर बन गया. शुभम के माता-पिता कानपुर के पंकी में रहते हैं. उनके दादा आज भी कवई बोझ में ही रहते हैं. पिता ने बताया कि शुभम आर्मी पब्लिक स्कूल में शक्षिक हैं. उनका एक और लड़का है. मां ने कहा कि बेटा देश की सेवा करने जा रहा है, इससे बड़ी खुशी और क्या होगी. शुभम एमइसी सिकंदराबाद से बीटेक करेगा. बिहार के एक और सैन्य अधिकारी में मुजफ्फरपुर का साकेत कुमार भी शामिल है.रांची के टाटी सिलवे का रहनेवाला आकाश सन्हिा ने टीइएस की पढ़ाई पूरी कर टेक्निकल सैन्य अधिकारी बन गये हैं. उनके पिता सुधीर कुमार सन्हिा एयरफोर्स से रिटायर्ड हैं. मां का नाम मीना कुमारी हैङ आकाश अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं. सुधीर सन्हिा ने कहा कि उनकी इच्छा थी कि उनका बेटा सेना का अफसर बने. आज उसने उनकी ख्वाहिश पूरी कर दी. देश सेवा के लिए इकलौते बेटे को देकर काफी खुश हैं.

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