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गवर्नमेंट प्रेस में बंद है छपाई

गया: केंद्रीय कारागार परिसर स्थित बिहार गवर्नमेंट प्रेस को एक ‘धरोधर’ के रूप में माना जाता था, पर अभी यह प्रेस उपेक्षा का शिकार है. आलम यह है कि करीब चार माह से बिजली विभाग द्वारा बिजली काट दिये जाने के कारण प्रेस में छपाई का काम पूरी तरह से बंद है. गवर्नमेंट प्रेस पर […]

गया: केंद्रीय कारागार परिसर स्थित बिहार गवर्नमेंट प्रेस को एक ‘धरोधर’ के रूप में माना जाता था, पर अभी यह प्रेस उपेक्षा का शिकार है. आलम यह है कि करीब चार माह से बिजली विभाग द्वारा बिजली काट दिये जाने के कारण प्रेस में छपाई का काम पूरी तरह से बंद है. गवर्नमेंट प्रेस पर बिजली विभाग का करीब 41 लाख रुपये बकाया है.

प्रेस का जेनेरेटर रख-रखाव के अभाव में खराब पड़ा है. इससे काम पूरी तरह ठप है. प्रेस में काम करने वाले कर्मचारी अपने समय से आते हैं और ड्यूटी का समय खत्म होने के बाद चले जाते हैं. नाम जाहिर नहीं करते हुए कर्मचारी बताते हैं कि काम नहीं रहने के कारण बैठे-बैठे ऊब जाते हैं. अगर जल्द काम शुरू हो जाये, तो अच्छा होगा. जानकारी मिली है कि देखरेख व रखरखाव के अभाव में प्रेस की मशीनों को जंग खा रही हैं.

कर्मचारियों की है कमी
प्रेस में कर्मचारियों की संख्या भी काफी कम है. यहां स्वीकृत पद 480 हैं, लेकिन वर्तमान में 100 से भी कम कर्मचारी कार्यरत हैं. जानकारी के अनुसार, उपाधीक्षक, सहायक अधीक्षक, फोरमैन, मशीन ऑपरेटर के कई पद रिक्त हैं. पिछले 22 वर्षो से यहां कोई नियुक्ति नहीं हुई है. इस दौरान सैकड़ों कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गये.

1914 में हुआ था स्थापित
बिहार गवर्नमेंट प्रेस, गया को 1914 में स्थापित किया गया था. इसकी मशीनें ढाका (बांग्लादेश) से लायी गयी थीं. स्थापना के बाद बिहार, ओड़िशा, बंगाल व दिल्ली आदि राज्यों के सरकारी प्रपत्रों की इसी प्रेस में छपाई होती थी. बाद में राज्य के गृह, कृषि, वित्त शिक्षा, स्वास्थ्य समेत सभी प्रपत्रों की छपाई होने लगी. लेकिन, पिछले कुछ वर्षो से ज्यादातर सरकारी प्रपत्रों की छपाई बिहार सरकार निजी प्रेस में करवाती है. कुछेक प्रपत्रों की छपाई ही यहां होती है. लेकिन, वह भी चार माह से बंद है.

क्या कहते हैं अधिकारी
बिहार गवर्नमेंट प्रेस गया के उप अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने बताया कि 2006 से 2007 तक ट्रांसफॉर्मर जला हुआ था. इसके बावजूद बिजली विभाग ने भुगतान लिया. इसके बाद 2010 में भी ट्रांसफॉर्मर जला हुआ था और इस दौरान भी भुगतान लिया गया. साथ ही बिजली विभाग ने यूनिट बढ़ा दिया. पहले 98 केवी था, जिसे 158 केवी कर दिया गया. इस कारण बिल अधिक हो गया. इस मामले को जल्द सुलझाने की कोशिश की जायेगी.

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