आपस की लड़ाई , भोग रहा शहर फ्लैैग….. गतिरोध जारी. पार्षदों व कर्मचारी का विवाद, हड़ताल पर कर्मचारी तमाम सेवाओं के साथ सफाई व्यवस्था भी ठप कर्मचारियों ने सिर्फ पानी को हड़ताल से अलग रखासंवाददाता, गया इस बार नगर निगम में वेतन या बहाली को लेकर नहीं, बल्कि पार्षदों व कर्मचारी के बीच विवाद को लेकर हड़ताल है. पार्षद शशि किशोर शिशु पर आरोप है कि उन्होंने एक कर्मचारी के साथ अभद्र व्यवहार किया व उसके साथ मारपीट भी की. हालांकि पार्षद इसे सिरे से खारिज रहे हैं, साथ ही वह खुद कर्मचारी पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगा रहे हैं. अब कौन सच कह रहा है, यह तो मालूम नहीं. लेकिन, इस विवाद ने पूरे शहर को मुश्किल में डाल दिया है. सोमवार से हड़ताल शुरू हो गयी. पानी को छोड़ तमाम सेवाएं बंद हैं. आॅफिस का काम तो बंद ही है, सोमवार को शहर में कहीं भी सफाई नहीं हुई. पहले दिन किसी भी स्तर से हड़ताल को समाप्त कराने को लेकर कोई पहल होती नहीं दिखी. कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार : कर्मचारी नेता अमृत प्रसाद ने कहा कि यह दुर्भाग्य ही तो है कि एक एफआइआर के लिए भी उन लोगों को आंदोलन करना पड़ रहा है. एक जनप्रतिनिधि जो कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के साथ अभद्र व्यवहार करता है, उसके साथ मारपीट करता है उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं. उस दिन पार्षद ने टेंपो को जबरदस्ती रोक कर कूड़ा लेने को कहा, जबकि गाड़ी पहले से ही कूड़े से भरी थी. पार्षद ने सभी कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार किया. श्री प्रसाद ने कहा कि कार्रवाई नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि शहर की व्यवस्था चौपट हो , लेकिन मजबूर होकर ऐसा करना पड़ रहा. यहां बातचीत करने से कोई भी समस्या का समाधान होता ही नहीं. कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं होता. .. तो मैं गुनहगार : वार्ड 41 के पार्षद शशि किशोर शिशु ने बताया कि जनप्रतिनिधि होने के नाते अगर शहर में सफाई कराना गुनाह है, तो वह गुनहगार हैं और बार-बार ऐसे गुनाह को करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि उस दिन वह कर्मचारी कूड़े का ऑटो लेकर जा रहा था. गाड़ी में कूड़ा काफी कम था. उसे रोक कर कुछ कूड़ा उठा लेने को कहा. इस पर उस कर्मचारी ने अभद्र व्यवहार किया. पार्षद ने कर्मचारियों के साथ मारपीट करने के आरोप को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद नगर आयुक्त को भी अवगत कराया. उन्होंने कहा कि कोई भी सफाई कर्मचारी बेहतर तरीके से काम नहीं करता. सभी खानापूर्ति करते हैं, इन सब में निगम के कुछ अधिकारियों का भी हाथ होता है. वे ऐसे कर्मचारियों को बढ़ावा देते हैं. आउटसोर्सिंग पर विचार करे निगम : पार्षद धर्मेंद्र कुमार ने कहा है कि हर कुछ महीने में किसी न किसी बात को लेकर हड़ताल करना व कामकाज ठप करना गलत है. समस्या का समाधान बातचीत से भी निकाला जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होता. बातचीत के नाम पर बस दिखावा कर हड़ताल कर दी जाती है. ऐसे में अब निगम को कुछ और सोचना ही पड़ेगा. सरकार भी बार बार आउटसोर्सिंग से सफाई व्यवस्था बहाल करने की बात कर रही है. इस पर अब विचार किया जा सकता है. निगम की जिम्मेवारी को समझें : मेयर सोनी कुमारी ने बताया कि उन्हें इस पूरे मामले की कोई भी जानकारी नहीं थी. शादी समारोह में शामिल होने के लिए शहर से बाहर गयी हुई हैं. सोमवार की सुबह हड़ताल की जानकारी मिली. इस तरह आपस के मामले को लेकर शहर की पूरी व्यवस्था को चौपट कर देना उचित नहीं है. सभी लोग समझदार हैं, शहर के प्रति निगम की जिम्मेवारी को समझें.
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आपस की लड़ाई , भोग रहा शहर
आपस की लड़ाई , भोग रहा शहर फ्लैैग….. गतिरोध जारी. पार्षदों व कर्मचारी का विवाद, हड़ताल पर कर्मचारी तमाम सेवाओं के साथ सफाई व्यवस्था भी ठप कर्मचारियों ने सिर्फ पानी को हड़ताल से अलग रखासंवाददाता, गया इस बार नगर निगम में वेतन या बहाली को लेकर नहीं, बल्कि पार्षदों व कर्मचारी के बीच विवाद को […]
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