– कंचन –
गया : धान की खरीद का सिस्टम बदलने जा रहा है. लेकिन, किसानों को इसका कोई फायदा नहीं होनेवाला. धान की खरीद के लिए अब तक जिले में कार्ययोजना नहीं बनी है. तिथि भी तय नहीं हुई है. लक्ष्य भी निर्धारित नहीं हो सका है. जबकि, सरकार ने 15 नवंबर से ही धान खरीदने का आदेश दिया है.
अधिकारियों की मानें, तो अब तक लिखित आदेश नहीं आया है. जिला सहकारिता पदाधिकारी ने अब तक पैक्स अध्यक्षों की मीटिंग भी नहीं की है. डीसीओ (जिला सहकारिता पदाधिकारी) विक्रम कुमार झा की मानें, तो सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर दिया है.
लेकिन, पैक्स अध्यक्षों का कमीशन तय नहीं हो पाया है. धान की खरीद को आसान करने के लिए अब भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) की भूमिका समाप्त की जा रही है. इससे चेन कम होगा और किसानों व पैक्स अध्यक्षों को परेशानियों से मुक्ति मिलने की संभावना है. यह सब शायद खाद्य सुरक्षा बिल के लिए हो रहा है.
गया में कम बारिश के कारण लक्ष्य के 60 प्रतिशत भूमि पर ही धान लगाया जा सका है. पिछले साल बिहार राज्य खाद्य निगम ने पैक्सों के माध्यम से एक लाख सात हजार मीटरिक टन धान की खरीद की थी. अधिकारियों की मानें तो, इस बार प्रखंडों में धान की रोपनी का सर्वे कराया जायेगा.
लेकिन, सवाल यह कि होगा कब? अब तक कोई बैठक ही नहीं हुई और न ही सर्वे शुरू हुआ. इससे तो यही लगता है कि जनवरी के दूसरे सप्ताह से ही धान की खरीद शुरू हो पायेगी. सीडीओ विक्रम झा ने बताया कि अब तक लक्ष्य तय नहीं हो पाया है. एफसीआइ की भूमिका समाप्त होने के बाद राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) की जिम्मेदारी बढ़ गयी है.
अब पैक्सों पर अनाज खरीदने, गोदाम में रखने, क्वालिटी कंट्रोल, मिलर को भेजने व तैयार चावल को वापस लेकर जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों तक भेजने तक की जिम्मेदारी आ गयी है. डी-सेंट्रलाइज प्रोक्योरमेंट सिस्टम (डीपीसी) लागू किया जा रहा है. उनका मानना है कि यह सब खाद्य सुरक्षा बिल को लेकर हो रहा है.