गया: मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की तीन सदस्यीय टीम सोमवार की सुबह करीब आठ बजे मगध मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का निरीक्षण करने पहुंची. तब, कॉलेज व हॉस्पिटल दोनों साइड का ऑफिस बंद था. टीम के सदस्य हॉस्टल की ओर बढ़ गये. सदस्यों ने हॉस्टल में रह रहे छात्रों से कॉलेज के बारे में […]
गया: मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की तीन सदस्यीय टीम सोमवार की सुबह करीब आठ बजे मगध मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का निरीक्षण करने पहुंची. तब, कॉलेज व हॉस्पिटल दोनों साइड का ऑफिस बंद था. टीम के सदस्य हॉस्टल की ओर बढ़ गये. सदस्यों ने हॉस्टल में रह रहे छात्रों से कॉलेज के बारे में पूछताछ कर जानकारी ली.
इस बीच उन पर कॉलेज के एक प्राध्यापक की नजर गयी. बातचीत के बाद पता चला, तो आनन-फानन में उन्होंने प्राचार्य व अस्पताल अधीक्षक को सूचना दी. इस बीच टीम करीब आधे अस्पताल का निरीक्षण कर चुकी थी. 11 बजे हेड काउंट किया गया, तो ज्यादातर लोग अनुपस्थित पाये गये. मुख्यालय से बाहर रहने वाले लोगों का दोपहर बाद तक आने का सिलसिला जारी रहा. टीम के सदस्यों ने किसी मीडियाकर्मी से बात तो नहीं की, लेकिन उनका मूड देख कर साफ पता चल रहा था कि कॉलेज में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है. ऐसे में एमबीबीएस की बढ़ी 50 सीटें बरकरार रहने पर संशय है.
उल्लेखनीय है कि एमसीआइ ने सशर्त दो साल पहले एमबीबीएस में नामांकन के लिए सीटें 50 से बढ़ा कर 100 कर दी थी. तब से एमसीआइ का पांच बार निरीक्षण हो चुका है. कुछ हद तक कमियां दूर भी कर ली गयी हैं. लेकिन, अब भी आधारभूत सुविधाओं की भारी कमी है. इससे पहले इसी साल दो व तीन फरवरी और छह व सात मई को एमसीआइ का औचक निरीक्षण हो चुका है. एमसीआइ ने एमबीबीएस की बढ़ी 50 सीटों पर नामांकन लेने पर रोक लगा दी थी.
हालांकि, बाद में राज्य सरकार के अनुरोध पर नामांकन की अनुमति दे गयी. इसे आगे भी जारी रखने के लिए आधारभूत सुविधाएं बढ़ाना आवश्यक है. फिलवक्त कई भवन निर्माणाधीन हैं और कई भवनों के निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है. इसमें छात्रावास, इमरजेंसी वार्ड, प्रशासनिक भवन, शीत शव गृह व ट्रामा सेंटर आदि शामिल हैं.
टीम में विजय नगर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, बरमेरी(कर्नाटक) के डॉ गंगाधर गोड़ा, मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, जनपर (पुदुचेरी) के डॉ डीके पात्रा व मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र) के डॉ सूकी शामिल हैं. उक्त सदस्यों ने मुख्य रूप से अस्पताल में उपलब्ध बेडों की संख्या, शिक्षा व चिकित्सा के संसाधन, इनडोर व ओपीडी में औसतन प्रतिदिन मरीजों की संख्या, आधारभूत संरचना, शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारियों की संख्या, नर्सिंग व पारा मेडिकल स्टॉफ की संख्या आदि का जायजा लिया. फैकल्टी मेंबरों की हेड काउंटिंग की और उनका एकेडमिक वेरीफिकेशन भी किया.