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500 वद्यिार्थियों पर तीन शक्षिक

500 विद्यार्थियों पर तीन शिक्षक ब्रजराज संस्कृत कॉलेज. उपेक्षा के कारण पांच साल से सात सीटें खाली कॉलेज में कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी व कॉन्फ्रेंस हॉल भी मौजूदबनाया जा रहा छात्रावास भी प्राध्यापकों की कमी से छात्रों की उपस्थिति नगण्य फोटो: सिटी 123संवाददाता, गया1904 में स्थापित कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा की अंगीभूत इकाई ब्रजराज संस्कृत […]

500 विद्यार्थियों पर तीन शिक्षक ब्रजराज संस्कृत कॉलेज. उपेक्षा के कारण पांच साल से सात सीटें खाली कॉलेज में कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी व कॉन्फ्रेंस हॉल भी मौजूदबनाया जा रहा छात्रावास भी प्राध्यापकों की कमी से छात्रों की उपस्थिति नगण्य फोटो: सिटी 123संवाददाता, गया1904 में स्थापित कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा की अंगीभूत इकाई ब्रजराज संस्कृत कॉलेज, खरखुरा में 500 से अधिक विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई तीन प्राध्यापकों पर ही टिकी है. कॉलेज में 10 प्राध्यापकों के पद हैं, पर उपेक्षित होने के कारण करीब पांच साल से प्राध्यापक के सात पद खाली हैं. इस कारण नामांकन रहते हुए भी विद्यार्थियों की उपस्थिति कम ही रहती है. उल्लेखनीय है कि कॉलेज में उपशास्त्री, शास्त्री व आचार्य की पढ़ाई करायी जाती है. 1990 से पहले आचार्य करने के बाद बीएड किये बिना भी विद्यालयों में शिक्षक की नौकरी मिल जाती थी. इसके बाद तत्कालीन सरकार ने अपनी नीति में परिवर्तन कर शिक्षक बनने के लिए बीएड की योग्यता अनिवार्य कर दी. कॉलेज में पढ़ाई के लिए ग्राउंड फ्लोर पर नौ कमरे व प्रथम तल्ले पर नौ कमरे हैं. इसके अलावा कॉलेज के पास कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी व कॉन्फ्रेंस हॉल भी मौजूद हैं. कॉलेज में अन्य कॉलेजों की तरह रविवार को अवकाश न होकर अष्टमी व प्रतिपदा को कॉलेज में अवकाश रहता है. यूजीसी द्वारा कॉलेज को छात्रावास निर्माण के लिए 80 लाख रुपया स्वीकृत किया गया है. इसके लिए यूजीसी द्वारा 40 लाख रुपये जारी भी कर दिये गये हैं. कॉलेज में छात्रावास निर्माण शुरू हो गया है.जिन विभागों में प्राध्यापकों के पद खालीसाहित्याचार्य दोव्याकरणाचार्य दो वेद दर्शन व ज्योतिष एक हिंदी एकअंगरेजी एक फिलहाल, कॉलेज में एमए संस्कृत में एक (तदर्थ), गणित में एक, ज्योतिष में एक व एक प्राचार्य पदस्थापित हैं. उपशास्त्री प्रथम में व द्वितीय में 100, शास्त्री में प्रथम वर्ष में 60, द्वितीय वर्ष में 80 व तृतीय वर्ष में 85, आचार्य दो वर्षीय कोर्स में प्रथम वर्ष में 104 व द्वितीय वर्ष में 104 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. शिक्षक की कमी के कारण कॉलेज का नैक से मूल्यांकन भी नहीं हो पा रहा है, क्योंकि नैक के मूल्यांकन के लिए कॉलेज में कम-से-कम सात प्राध्यापकों की पदस्थापना अनिवार्य है.जिन विषयों की स्वीकृति के लिए राजभवन को पत्र भेजाकॉलेज में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विभिन्न वोकेशनल कोर्सों की स्वीकृति के लिए राजभवन को पत्र भेजा गया है. वोकेशनल कोर्स में ग्रहरत्न विज्ञान, कुंडली व पंचाग निर्माण, मौसम व कृषि विज्ञान, कर्मकांड विज्ञान व कंप्यूटर विज्ञान में डिप्लोमा की स्वीकृति के लिए राजभवन को पत्र भेजा गया है. इन वोकेशनल कोर्सों में स्वीकृति मिलने के बाद विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने की आशा कॉलेज प्रशासन द्वारा जतायी जा रही है.नयी सरकार से बंधी उम्मीदनयी सरकार गठन के बाद कॉलेज में सुधार आने की आशा है. प्राध्यापक नियुक्ति के लिए सरकार द्वारा पूर्व में ही विज्ञापन प्रकाशित किया गया है. नयी सरकार गठन के बाद इसकी प्रक्रिया पूरी होने की आशा है. जेनरल कोर्स से विद्यार्थियों का लगाव कम हुआ है. इस कारण ही, इस कॉलेज में भी वोकेशनल कोर्स शुरू करने की सभी प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है. राजभवन से स्वीकृति मिलने के बाद ये कोर्स प्रारंभ कर दिये जायेंगे. विद्वानों का मानना है कि संस्कृत विषय नहीं एक भाषा है. कॉलेज में आधारभूत संरचना में अन्य कॉलेजों की अपेक्षा स्थिति अच्छी है. कॉलेज में छात्रों की तुलना में छात्राओं की संख्या अधिक है. डॉ जितेंद्र कुमार, प्राचार्य, ब्रजराज संस्कृत कॉलेज

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