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पुरस्कार लौटना देश के लिए हितकर नहीं
साहित्य अकादमी पुरस्कार वापसी के औचित्य पर सीयूएसबी में संगोष्ठी आयोजित गया : कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में अकादमी पुरस्कार लौटाने की शुरुआत हुई गयी, जो देश व समाज दोनों के लिए हितकर नहीं है. दादरी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन को कारगर कदम उठाना चाहिए. ये बातें ‘साहित्य […]
साहित्य अकादमी पुरस्कार वापसी के औचित्य पर सीयूएसबी में संगोष्ठी आयोजित
गया : कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में अकादमी पुरस्कार लौटाने की शुरुआत हुई गयी, जो देश व समाज दोनों के लिए हितकर नहीं है. दादरी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन को कारगर कदम उठाना चाहिए.
ये बातें ‘साहित्य कला अकादमी पुरस्कार वापस करने का औचित्य’ विषय पर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) द्वारा आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए एमए की छात्रा वंदना मिश्र ने कहीं.
संगोष्ठी में अंगरेजी के प्राध्यापक डॉ आशीष पाठक ने कहा कि पुरस्कार लौटानेवालों ने दोहरा व्यवहार प्रस्तुत किया है. उन्होंने लेखिका अरुंधती राय पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह ब्रुक सम्मान को स्वीकार करती हैं, लेकिन देश की साहित्य अकादमी पुरस्कार को अस्वीकार करती हैं, जो अशोभनीय है.
इससे समाज में असहिष्णुता बढ़ी है. उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति के ऊपर हो रहे संस्थागत व सांगठनिक हमले आज के समय में सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं. वहीं, अंजू कुमारी ने साहित्य अकादमी पुरस्कार का संक्षिप्त परिचय दिया.
इस मौके पर राजनीति विभाग के प्राध्यापक डॉ सुमित पाठक, समाजशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ जितेंद्र राम, हिंदी विभाग के डॉ अनुज लुगुन व डॉ कमलानंद झा, कमलाकांत पाठक, राहुल कुमार, शिवानी सिन्हा, सुंदरलाल शर्मा, सलमा जफर, प्रशांत कुमार, डॉ आलोक कुमार गुप्ता, डॉ प्रणव कुमार, डॉ अबोध कुमार, डॉ सुरेश कुरपति, डॉ सुधांशु झा, डॉ कर्मानंद आर्य, डॉ ऋचा व डॉ अभय कुमार ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये.
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