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शक्षिा से कोसों दूर है पतलंका का तिलेटांड़

शिक्षा से कोसों दूर है पतलंका का तिलेटांड़पहाड़ पार कर पांच किमी दूर है रेवदा स्कूल बाराचट्टी. प्रखंड में एक ऐसा भी गांव है, जहां शिक्षा की लौ पहुंचनी अभी बाकी है. प्रखंड मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर पतलंका पंचायत के तिलेटांड़ गांव में स्कूल नहीं है. एक निजी संस्था बच्चों को जैसे-तैसे प्राथमिक […]

शिक्षा से कोसों दूर है पतलंका का तिलेटांड़पहाड़ पार कर पांच किमी दूर है रेवदा स्कूल बाराचट्टी. प्रखंड में एक ऐसा भी गांव है, जहां शिक्षा की लौ पहुंचनी अभी बाकी है. प्रखंड मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर पतलंका पंचायत के तिलेटांड़ गांव में स्कूल नहीं है. एक निजी संस्था बच्चों को जैसे-तैसे प्राथमिक स्तर पर पढ़ा-लिखा रही है. गांव में कोई आदमी अगर अपने बच्चे की पढ़ाई-लिखाई को लेकर जागरूक है, तो उसे पहाड़ियों से उतर कर पांच किलोमीटर दूर रेवदा विद्यालय जाना पड़ता है. आज जब शहर स्मार्ट बन रहे हैं व लोग डिजिटल युग में प्रवेश कर रहे हैं, तो यहां के बच्चे मिडिल क्लास तक जाते-जाते पढ़ाई छोड़ देते हैं. गांववालों से पता चला है कि बोधन सिंह भोगता एकमात्र मैट्रिक पास है. गांव के बच्चे घर-गृहस्थी संभालने के लिए कम उम्र में ही पढ़ाई-लिखाई छोड़ कर काम करने लग जाते हैं. महिला जनप्रतिनिधि धनेश्वर देवी का कहना है कि चुनाव में सभी ने महादलितों के उत्थान के लिए बड़ी-बड़ी बातें कीं, इससे पहले भी किये जाते रहे हैं, लेकिन सच्चाई सभी के सामने है. कुछ साल पहले मलेरिया के प्रकोप के कारण यह गांव अखबारों की सुर्खियों में आया था. इसके बाद गांव अब भी उपेक्षित है. पंचायत की मुखिया उर्मिला देवी ने बताया कि गांव में विद्यालय खोलने का प्रस्ताव जिला मुख्यालय को भेजा गया है.

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