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धन्वंतरि जयंती व धनतेरस कल

धन्वंतरि जयंती व धनतेरस कलनौ नवंबर सोमवार को धन्वंतरि जयंती व धनतेरस पर्व मनाया जायेगा. आयुर्वेद के प्रवर्तक व विष्णु के अंशावतार धन्वंतरि इस तिथि को एक हाथ में औषधियों से परिपूर्ण कलश व दूसरे हाथ में अमृत पूर्ण कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे. देवता व राक्षसों द्वारा किये गये समुद्र मंथन से […]

धन्वंतरि जयंती व धनतेरस कलनौ नवंबर सोमवार को धन्वंतरि जयंती व धनतेरस पर्व मनाया जायेगा. आयुर्वेद के प्रवर्तक व विष्णु के अंशावतार धन्वंतरि इस तिथि को एक हाथ में औषधियों से परिपूर्ण कलश व दूसरे हाथ में अमृत पूर्ण कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे. देवता व राक्षसों द्वारा किये गये समुद्र मंथन से उत्पन्न 14 रत्नों में एक रत्न धन्वंतरि थे. उन्हें राजा विक्रमादित्य के दरबार में रहनेवाला नवरत्न पंडित कहा जाता है. आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा उनकी जयंती मनायी जाती है. उक्त तिथि को धनतेरस पर्व भी है. इस अवसर पर चांदी के सिक्के व चांदी के बरतन की खरीदारी की जाती है. अभाव में लोग तांबे व पीतल आदि के बरतन की खरीदारी करते हैं. इसे द्रव्य लक्ष्मी माना जाता है. यह पर्व लक्ष्मी के आगमन व घर में पूजन का प्रथम दिवस होता है. दीप में लक्ष्मी का वास मान कर दीपोत्सव प्रारंभ होता है. घर के मुख्य द्वार पर मृत्यु के देवता यमराज के निमित्त रात्रि के प्रथम पहर में दीप दान किया जाता है. इससे घर में अकाल मृत्यु नहीं होती है. सनत्कुमार संहिता के अनुसार, वामनावतार भगवान विष्णु ने चार युगों में प्रथम युग (सत्ययुग) के राजावलि को वरदान दिया था कि तीन दिनों के दीपोत्सव पर्व में दीप दान करनेवाले का घर लक्ष्मी से विहीन नहीं होगा. कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी, चतुर्दशी व कार्तिक अमावस्या की रात में दीप दान धनधान्य से परिपूर्ण करने वाला है. इन तिथियों में दीप दान से लक्ष्मी का घर में अचल निवास होता है.-आचार्य लालभूषण मिश्र याज्ञिक

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