गया: जनप्रिय साहित्यकार व ‘हंस’ पत्रिका के संपादक राजेंद्र यादव के निधन पर बज्म-ए-कलमकार ने शुक्रवार को शोकसभा आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि राजेंद्र यादव ने उपन्यासकार, कहानीकार व पत्रकार के रूप में दबे-कुचले व सामंतवादी मानसिकता से ग्रस्त लोगों को न केवल झकझोरने का काम किया. बल्कि, गोर्की, डिकेंस, हार्डी, मुल्कराज आनंद, प्रेमचंद व निराला की तरह सशक्त शंखनाद भी किया.
प्रेमचंद ने 1930 में ‘हंस’ पत्रिका शुरू की. उन्होंने 1936 में लखनऊ में आयोजित प्रथम प्रगतिशील लेखक संघ सम्मेलन की अध्यक्षता की. इसी वर्ष उनका निधन हो गया और ‘हंस’ पत्रिका का प्रकाशन बंद हो गया. तभी, राजेंद्र यादव ने उपन्यासकार के रूप में दस्तक दी. वह 1953 से जीवन के अंतिम क्षण तक ‘हंस’ का संपादन करते रहे. वक्ताओं ने कहा कि गया से राजेंद्र यादव का गहरा संबंध रहा है. इस कारण गया के सभी साहित्यकार उनके निधन से काफी मर्माहत हैं.