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अब क्या होगा मांडवी व शुभम् का?

गया: सड़क हादसे का शिकार हुए कंपाउंडर रंजीत के परिजनों पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा है. शहर के कोतवाली थाना क्षेत्र के रामधनपुर मुहल्ले में रहने वाले रंजीत के घर में सोमवार की सुबह से ही महिलाओं के चीखने-चिल्लाने की आवाज से आसपास का इलाका शोक में डूबा रहा है. रंजीत के पिता युगेश […]

गया: सड़क हादसे का शिकार हुए कंपाउंडर रंजीत के परिजनों पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा है. शहर के कोतवाली थाना क्षेत्र के रामधनपुर मुहल्ले में रहने वाले रंजीत के घर में सोमवार की सुबह से ही महिलाओं के चीखने-चिल्लाने की आवाज से आसपास का इलाका शोक में डूबा रहा है. रंजीत के पिता युगेश सिंह की मौत कई वर्ष पूर्व हो चुकी है.

पिता के मरने के बाद घर की बागडोर रंजीत ने संभाल ली थी. वह डॉ अनिल सिन्हा के साथ कंपाउंडर के रूप में काम कर रहा था. रंजीत ने अपने साथ अपनी विधवा मां व छोटे भाई सुशील को भी साथ रखता था, लेकिन बाद में सुशील कोलकाता में एक कंपनी में नौकरी करने लगा.

वर्ष 2004 में रंजीत की शादी जहानाबाद जिले के मखदुमपुर थाना क्षेत्र के सबदलपुर गांव के निवासी श्यामनंदन शर्मा की बेटी मांडवी से हुई. तीन बहन व दो भाइयों में सबसे प्यारी मांडवी की शादी के बाद उसका जीवन बड़े आराम से गुजर रहा था. इसी दौरान उसे एक बेटा हुआ. फिलहाल उनका बेटा शुभम राज शहर के मिलिटरी कैंप एरिया में स्थित केंद्रीय स्कूल में पढ़ रहा है. अब रंजीत की पत्नी मांडवी व उसके बेटे शुभम का भविष्य क्या होगा. इसकी सोच में पूरा परिवार मर्माहत है.

साले की शादी से लौटा था रंजीत
रंजीत का साला निप्पू शर्मा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) में जवान के रूप में पोस्टेड है. छह अप्रैल को उनके साले की शादी पटना जिले के मसौढ़ी थाने के तिनेरी गांव में हुई थी. इस वैवाहिक समारोह में भाग लेने रंजीत अपने पूरे परिवार के साथ गया था. वहां से हंसी-खुशी गया लौटा था. इस हादसे के बाद रंजीत की ससुराल में मातम छाया है.

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