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”अभी बहुत खर्चा है भाई, अगले महीने आना, सब मिला कर…”

टैक्स कलेक्टरों को मिल रहे तरह-तरह के जवाब गया : ‘अरे इ महीना में बहुत खर्चा है भाई. अगले महीने आना, सब मिला कर एक बार में ही दे देंगे.’ ‘अभी तो दुकान में पोचारा हो रहा है, दीपावली बाद आइएगा.’ ‘अरे दीपावली और छठ भी इसी महीने है, बहुत खर्चा है.’ शहर में किसी […]

टैक्स कलेक्टरों को मिल रहे तरह-तरह के जवाब
गया : ‘अरे इ महीना में बहुत खर्चा है भाई. अगले महीने आना, सब मिला कर एक बार में ही दे देंगे.’ ‘अभी तो दुकान में पोचारा हो रहा है, दीपावली बाद आइएगा.’ ‘अरे दीपावली और छठ भी इसी महीने है, बहुत खर्चा है.’ शहर में किसी भी मकान या दुकान में टैक्स लेने जा रहे टैक्स कलेक्टरों को हर जगह कुछ ऐसे ही जवाब सुनने को मिल रहे हैं.
इसका नतीजा है कि अक्टूबर महीने में निगम के राजस्व में भारी गिरावट आ गयी है. टैक्स कलेक्टरों के मुताबिक, त्योहार सीजन होने की वजह से लगभग सभी जगहों से टैक्स नहीं मिल पा रहा है. लोग किसी न किसी बहाने से टैक्स देने में टाल-मटोल कर रहे हैं. दीपावली व छठ को लेकर आशंका यह भी है कि नवंबर में राजस्व और भी कम होगा. राजस्वकर्मियों की मानें, तो यह स्थिति दिसंबर तक बनी रहेगी. राजस्व के मामले में यह चार महीने निगम के लिए पूरी तरह से ड्राइ सीजन साबित होता है.
बड़े बकायेदारों पर भी दबिश : नगर आयुक्त ने बैठक के दौरान शहर के बड़े बकायेदारों की सूची मांगी. उन्हें जो सूची उपलब्ध करायी गयी, उसके मुताबिक शहर में 61 बड़े बकायेदार हैं.
नगर आयुक्त ने इनसे पैसे वसूलने के लिए स्पेशल टीम तैयार की है. उन्होंने कहा कि यह टीम इन बकायेदारों के घरों में छापेमारी करेगी. आचार संहिता के समाप्त होते ही नगर निगम के बाहर, स्टेशन रोड और चौक पर इलेक्ट्रॉनिक डिस्पले लगाया जायेगा. इसमें उन सभी बकायेदारों के नाम सार्वजनिक कर दिये जायेंगे.
विभाग अब नहीं देता अनुदान
आंतरिक संसाधनों को बेहतर करने और शहर में सेवाओं को बहाल रखने के लिए नगर विकास विभाग भी अब किसी तरह का अनुदान नहीं देता है. इस साल तो पितृपक्ष में भी विभाग ने किसी प्रकार का अनुदान नहीं दिया. कर्मचारियों के वेतन से लेकर अपने संसाधनों को बेहतर करने में निगम अपने राजस्व पर ही निर्भर है.
ऐसे में अब सबसे बड़ी चिंता सेवाओं को लेकर है. राजस्व कम होने के कारण शहर की सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. इधर, ठीक पितृपक्ष के बाद त्योहारों का सीजन शुरू होने के कारण लगातार शहर में सफाई व्यवस्था बनाये रखना होता है. ऐसे में पैसों की कमी इस पर बुरा प्रभाव डाल सकती है.
ट्रेड लाइसेंस पर अब विशेष जोर
घटते रेवेन्यू पर चिंतित नगर आयुक्त विजय कुमार ने सोमवार को राजस्व विभाग के तमाम कर्मचारियों के साथ बैठक की. बैठक में ट्रेड लाइसेंस पर विशेष जोर देने का निर्णय हुआ. नगर आयुक्त ने बताया कि अभी तमाम टैक्सों में ट्रेड लाइसेंस की स्थिति बेहद खराब है.
शहर के पूरे ट्रेड में निगम को महज दो प्रतिशत ही टैक्स मिल रहा है. ट्रेड लाइसेंस के लिए 10 टैक्स कलेक्टरों को रखा गया है, लेकिन अब इसमें फेरबदल करते हुए नगर आयुक्त ने सभी 53 वार्डों के टैक्स कलेक्टरों को ही ट्रेड लाइसेंस देने का निर्देश जारी किया है. उन्होंने बताया कि वार्ड के टैक्स कलेक्टरों ही अपने-अपने इलाके में ट्रेड का भी काम करेंगे. इससे ट्रेड रेवेन्यू में बढ़ोतरी हो सकेगी.

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