गया: महज कुछ दिन पहले की ही बात है. पितृपक्ष मेले के दौरान जंकशन परिसर चकाचक दिखता था. गंदगी का कोई नामोनिशान नहीं था. प्लेटफॉर्म, रेलवे ट्रैक व शौचालयों में सफाई दिखती थी. अगर, थोड़ी-सी भी गंदगी दिखती, तो उसे साफ कर दिया जाता था. किंतु, अब परिस्थितियां बदल गयी हैं. अगर कहीं गंदगी है, तो न उसे कोई देखनेवाला है और न ही पूछनेवाला. गंदगी है, तो है!
जंकशन के बाहरी परिसर में साफ-सफाई की व्यवस्था काफी लचर है. कोई एक जगह हो तो कहें, यहां तो चारों ओर गंदगी है. चाहे भारत सेवाश्रम का कार्यालय हो, बुकिंग काउंटर या फिर पूछताछ काउंटर. हालात एक जैसे हैं. रात में तो हालत और भी बदतर हो जाती है. कहने को तो रेलवे के आला अधिकारी साफ -सफाई का समय-समय पर जायजा भी लेते हैं, लेकिन गंदगी देख ऐसा लगता है कि उनकी नजर या तो उस पर नहीं पड़ती है या फिर वे भी इसी अव्यवस्था के अभ्यस्त हो गये हैं. पितृपक्ष मेले में जंकशन के बाहरी परिसर की सफाई के लिए 60 सफाईकर्मी, चार सुपरवाइजर व तीन हेल्थ इंस्पेक्टर लगाये गये थे, लेकिन अब महज 25 सफाईकर्मियों के भरोसे स्टेशन की सूरत बदलने की कवायद की जा रही है.
क्या कहते हैं अधिकारी
पूर्व-मध्य रेलवे अस्पताल के अपर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ वीवी सिंह ने बताया कि पितृपक्ष मेले में 60 सफाईकर्मी तैनात थे, किंतु अब घट कर 25 रह गये हैं. हेल्थ इंस्पेक्टर की देखरेख में ठेकेदार द्वारा साफ -सफाई करायी जाती है. अपर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की मानें, तो रेलवे सफाई पर ध्यान दे रहा है, किंतु उनका यह भी मानना है कि बाहरी परिसर में कचरे का एक मुख्य कारण अवैध रूप से होटल, वेंडर व दुकानदारों द्वारा अपने प्रतिष्ठानों का कचरा परिसर में ही फेंक देना भी है. उनका कहना है कि बराबर सफाई का जायजा लिया जाता है.
अगर कमियां दिखती हैं, तो उसे दूर कर लिया जाता है. उन्होंने बताया है कि रेलवे साफ -सफाई को लेकर मुस्तैद है. जंकशन के बाहरी और भीतरी हिस्से की सफाई नियमित की जाती है. डस्टबीन, रेलवे ट्रैक, प्लेटफॉर्म व शौचालयों की सफाई भी नियमित रूप से की जाती है. प्रतीक्षालय की सफाई दिन में दो बार की जाती है.