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अधूरे व जजर्र मकान की कीमत 32 लाख रुपये !

गया: बिहार राज्य आवास (हाउसिंग) बोर्ड के गया में बनाये गये आवास मानक के अनुसार नहीं है. आधे-अधूरे व जीर्ण-शीर्ण करीब 20 फीसदी मकानों को रहने लायक बना कर आवंटी रह रहे हैं. इन आवासों में रह रहे लोगों से अब आवास बोर्ड एग्रीमेंट के हिसाब सूद के बकाया पैसा मांग रहा है. जिन लोगों […]

गया: बिहार राज्य आवास (हाउसिंग) बोर्ड के गया में बनाये गये आवास मानक के अनुसार नहीं है. आधे-अधूरे व जीर्ण-शीर्ण करीब 20 फीसदी मकानों को रहने लायक बना कर आवंटी रह रहे हैं. इन आवासों में रह रहे लोगों से अब आवास बोर्ड एग्रीमेंट के हिसाब सूद के बकाया पैसा मांग रहा है. जिन लोगों ने पैसा नहीं जमा किया है, उन्हें नोटिस भेजी जा रही है. इधर, आवास बोर्ड के मकानों में रह रहे लोगों का कहना है कि जब आवास बोर्ड आधे-अधूरे मकानों की कीमत करीब 30 लाख रुपये मांग रहा है, तो क्या जीर्ण-शीर्ण व सिर्फ आधी-अधूरी दीवारों वाले मकानों की भी कीमत क्या इतनी ही होगी?
आवास बोर्ड के मकानों में रह रहे लोगों का अनुमान है कि मुख्य सड़क व संपर्क मार्ग के किनारे स्थित ये आवास एक-दूसरे से सटे हैं. ऐसे में उनकी कीमत भी सड़कों के वर्गीकरण व इलाके के अनुसार ही होगी. लोगों का कहना है कि ऐसे में जब आधे-अधूरे व जीर्ण-शीर्ण मकानों के लिए 30 से 32 लाख रुपये देंगे होंगे, तो इससे अच्छा है कि इतने ही पैसे में अधिक क्षेत्रफल व सुविधाओं वाला अपार्टमेंट न खरीद लिया जाये. फिलहाल, गया में पॉश कॉलोनियों में अपार्टमेंट की कीमत 30 लाख है. अन्य मुहल्लों में एक अपार्टमेंट की कीमत 20 से 26 लाख रुपये के बीच है.
गौरतलब है कि आवास बोर्ड पहले आवेदकों के साथ मकान या जमीन (प्लॉट) का एग्रीमेंट करता है. फिर दखल-कब्जा दिलाने के बाद उक्त मकान व जमीन की रजिस्ट्री व दाखिल खारिज की प्रक्रिया करता है. फिलहाल, शहर के एपी कॉलोनी, मुस्तफाबाद व कटारी हिल रोड मुहल्ले में आवास बोर्ड के मकान व खाली जमीन हैं.

गया में आवास बोर्ड के तीन ग्रेड के मकान व जमीन हैं. इनमें एचआइजी (उच्च आय वर्गीय), एमआइजी (मध्य आय वर्गीय) व एलआइजी (निम्न आय वर्गीय) तथा एक है इडब्ल्यूएस (इकोनॉमिक वीकर सेक्शन) के तहत एपी कॉलोनी में जनता फ्लैट हैं. गौरतलब है कि गया प्रमंडल के तहत आवास बोर्ड की गया के अलावा सासाराम व डालमियानगर में भी जमीन है.

इधर, जिन लोगों के नाम मकान आवंटित हुआ, लेकिन आवास मानक के अनुसार नहीं बने होने की स्थिति में इन लोगों ने अपने नाम से एग्रीमेंट नहीं कराया. वहीं, कुछ लोग लॉटरी के नियम के अनुसार एग्रीमेंट के लिए पैसा लेकर तीन से 15 वर्षो से आवास बोर्ड के पटना व गया प्रमंडल कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन, उनका एग्रीमेंट नहीं किया जा सका है.

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