राजद के दावे से बढ़ेगी चिंता
अतरी
अतरी विधानसभा सीट पर कभी राजद का कब्जा था. वर्ष 2010 के चुनाव में जदयू ने यह सीट राजद से छीन ली थी. इस बार जदयू-राजद एक साथ हैं. ऐसे में वर्षो से इस सीट पर जीत का परचम लहरा रहा राजद इस सीट पर एक बार फिर अपना दावा ठोंक सकता है. पिछले चुनाव (2010) में जद यू के कृष्णनंदन यादव जीते थे. तब भाजपा व जद यू साथ-साथ थे. उन्होने पूर्व विधायक कुंती देवी को हराया था. हारने के बाद भी कुंती देवी क्षेत्र में लगातार बनी रहीं. उनकी टिकट की दावेदारी से जदयू की परेशानी बढ़ सकती है. इस बार भाजपा की रणनीति किसी पिछड़े समुदाय से प्रत्याशी उतारने की दिख रही है, ताकि महागंठबंधन के वोट बैंक को नुकसान पहुंचाया जा सके. वैसे रालोसपा भी यहां सक्रिय है. फिलहाल प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार सबको है. इसके बाद ही तसवीर साफ होगी.
इन दिनों
सत्तारूढ़ जदयू ‘पर्चा पर चर्चा’ व ‘घर-घर दस्तक’ कार्यक्रम चला रहा है. राजद, कांग्रेस व भाजपा भी अपने हिसाब से छोटी-छोटी बैठकें कर रहे हैं.
पांच टर्म से भाजपा
गया सदर
गया सदर विधानसभा क्षेत्र में पिछले चुनावों में जिस तरह के समीकरण दिखते रहे हैं, उनमें परिवर्तन की कहीं कोई गुंजाइश नहीं दिख रही. 2010 के चुनाव में जदयू-भाजपा साथ होकर लड़े थे. दोनों के अलग होने के बाद भी एनडीए पुराने पासे के भरोसे ही मैदान में उतरने के मूड में दिख रहा है. उसका उम्मीदवार पांच बार सफलतापूर्वक आजमाया जा चुका है. दूसरी तरफ महागंठबंधन में कांग्रेस की दावेदारी मजबूत दिख रही है. यदि कांग्रेस से यह सीट छूटती है, तो समझौते के तहत जदयू अपना उम्मीदवार दे सकता है. पिछले कई चुनावों में दूसरे नंबर पर रही सीपीआइ का तेवर थोड़ा ढीला दिख रहा है. हालांकि, वर्तमान विधायक डॉ प्रेम कुमार के सामने भी विकास के मसले पर ढेर सारे सवाल हैं, जिनका जवाब उन्हें ही देना होगा. शहर और आसपास के अंचलों में कामकाज से जुड़े कई सवाल हैं.
इन दिनों
जदयू के नेता-कार्यकर्ता घर-घर दस्तक दे रहे हैं. पर्चा पर चर्चा कर रहे हैं. कांग्रेसी व भाजपाई फिलहाल छोटी-छोटी बैठकें कर रहे हैं.
हो रहा वोटों का हिसाब-किताब
गुरुआ
गुरुआ विधानसभा क्षेत्र का समीकरण इस बार बदला-बदला दिख रहा है. दोनों गंठबंधनों (एनडीए और महागंठबधन) अपने-अपने पक्ष में समीकरण का हिसाब कर रहे हैं. महागंठबंधन में जदयू के साथ राजद व कांग्रेस के होने से महागंठबंधन के नेता- कार्यकर्ता उत्साहित हैं. उनका मानना है कि नये समीकरण में महागंठबंधन फायदे में रहेगा. दूसरी तरफ, एनडीए का अलग तर्क है. भाजपा के साथ लोजपा, रालोसपा और हम है. दोनों गंठबंधनों का जोर अनुसूचित जातियों और अति पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक में सेंधमारी की है, जो किसी का समीकरण बनाने या बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. पिछले चुनाव में यहां से भाजपा के सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा ने राजद के बिंदेश्वरी प्रसाद यादव को हराया था. उम्मीदवारों की घोषणा के बाद चुनाव की तसवीर साफ होगी. फिलहाल तो दोनों गंठबंधन सक्रिय हैं.
इन दिनों
जदयू के कार्यकर्ता घर-घर दस्तक दे रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के नेता भी आये दिन बैठकें कर कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा रहे हैं.
टिकट पर टकराव के आसार
वजीरगंज
वजीरगंज सीट के महागंठबंधन में कांग्रेस के पाले में जाने की ज्यादा संभावना है. अगर ऐसा होता है, तो भाजपा को काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है. यहां से भाजपा का साथ दे रहे ‘हम’ के शारिम अली अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं. वह मुसलिम वर्ग से आते हैं और पिछले चुनाव में उन्होंने निर्दलीय लड़ कर भी ठीक-ठाक वोट बटोरा था. दूसरी तरफ भाजपा का सीटिंग विधायक होने की वजह से वह यह एनडीए के किसी अन्य घटक दल को जाने की कोई संभावना नहीं है. लेकिन, यदि एनडीए में किसी अन्य की दावेदारी पेश हुई और उम्मीदवार बदलने का दबाव बढ़ा तो फिर तसवीर कुछ और होगी. बताते चलें कि टिकारी विधायक फिलहाल हम के साथ हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी और इस बार भी महागंठबंधन में कांग्रेस उत्साह व दमखम के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है.
इन दिनों
जदयू के कार्यक्रम ‘पर्चा पर चर्चा’ व ‘घर-घर दस्तक’ चल रहे हैं. भाजपा व अन्य दल भी अपनी बैठकें कर रहे हैं, फिलहाल छोटे स्तर पर ही.
राजद के लिए ‘अपनी सीट’
बेलागंज
बेलागंज सीट को राजद अपने लिए अनुकूल सीट मानता रहा है. यहां से डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव चुनाव जीतते रहे हैं. क्षेत्र का समीकरण भी राजद के पक्ष में रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में जब एनडीए के पक्ष में लहर जैसी स्थिति थी, तब भी मगध में यह इकलौती सीट थी, जहां राजद को कामयाबी मिली थी. जदयू के टिकट पर यहां से दो बार चुनाव लड़ चुके मो अमजद फिर से दावेदारी के मूड में हैं. यहीं से जदयू जिलाध्यक्ष भी अपने लिए संभावनाएं खोज रहे हैं. लेकिन, राजद के दावे के आगे किसी की चलेगी, यह कहना मुश्किल है. वजह यह भी है कि राजद के सीटिंग विधायक हैं. यहां से एनडीए में भाजपा के अलावा किसी और घटक दल का दावा मजबूत नहीं है. भाजपा किसी सशक्त प्रत्याशी की तलाश में है, ताकि राजद प्रत्याशी को टक्कर दिया जा सके. यहां से एक अधिवक्ता व पार्टी के अन्य संघर्षशील नेता भी उमीदवारी की होड़ में हैं.
इन दिनों
जदयू के नेता-कार्यकर्ता घर-घर पहुंच रहे हैं. पर्चा पर चर्चा भी कर रहे हैं. दूसरे दल भी छिटपुट बैठकें कर रहे हैं, पर इनकी सक्रियता कम दिख रही है.
एक सीट के कई दावेदार
टिकारी
टिकारी विधानसभा की चुनावी तसवीर इस बार कुछ अलग है. पिछले चुनाव में जद यू के डॉ अनिल कुमार ने राजद के बागी कुमार वर्मा को पराजित किया था. जदयू के टिकट पर जीते वर्तमान विधायक इन दिनों पार्टी से बगावत कर ‘हम’ के साथ हैं. इस सीट पर एनडीए की सहयोगी लोजपा भी दावा ठोंकने के मूड में है. ऐसे में ‘हम’ या लोजपा किसके हाथ यह सीट लगती है, देखना दिलचस्प होगा. महागंठबंधन में इस सीट पर कांग्रेस का भी दावा है. राजद व जदयू ने भी अपना दावा नहीं छोड़ा है. जदयू के तीन-तीन दिग्गज उम्मीदवारी की चाहत में हैं. औरंगाबाद जिले के एक विधायक भी यहां से जदयू की उम्मीदवारी की संभावना तलाश रहे हैं. पूर्व मंत्री बागी कुमार वर्मा भी दौड़ में हैं. इनके अलावा राजद के दो उम्मीदवार शिववचन यादव व विंदेश्वरी प्रसाद यादव भी प्रत्याशी बनने की प्रत्याशा में हैं.नमें एक तो पूर्व विधायक हैं. दूसरे विधान पार्षद के पति हैं. महागंठबंधन में टिकट को लेकर काफी होड़ है.
इन दिनों
जदयू को छोड़ कर बाकी दल छोटी-मोटी बैठकें कर रहे हैं. वैसे, मौजूदा विधायक अपने क्षेत्र में लोगों के साथ काफी समय बिताते रहे हैं.
खड़े हैं कई कतार में
बोधगया
गया शहर से नजदीक होने की वजह से यह सीट काफी अहम है. यहां से फिलहाल भाजपा के डॉ श्यामदेव पासवान विधायक हैं. पिछले चुनाव में राजद गंठबंधन में रहे लोजपा को उन्होंने हराया था. उनसे पहले लोजपा के कुमार सर्वजीत विधायक रह चुके हैं. ऐसे में लोजपा इस बार पुन: एनडीए में अपना दावा कर सकती है. भाजपा से ही पूर्व में चुनाव लड़े अनिल कुमार पासवान भी दावेदारी पेश कर रहे हैं. उधर, फतेहपुर का प्रतिनिधित्व किये अजय पासवान भी लड़ने मूड में दिख रहे हैं. पड़ोस की बाराचट्टी सीट पर कोई हेरफेर होने पर वहां की विधायक ज्योति देवी को बोधगया से आजमाने का मौका मिल सकता है. ऐसे में यहां दिग्गजों के आमने-सामने होने के आसार बन रहे हैं. इसमें राजद भी पीछे नहीं है. यहीं से राजद के फूलचंद मांझी विधायक चुने गये थे. हालांकि, यह सीट किसी पार्टी के लिए परंपरागत
नहीं है.
इन दिनों
हाल में जदयू ने कार्यकर्ता सम्मेलन किया है. घर-घर दस्तक कार्यक्रम भी चला है. बाकी दल भी अपने हिसाब से अलग-अलग बैठकें कर रहे हैं.