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एक लाख छात्र कहां करेंगे पीजी!

मगध विश्वविद्यालय व कॉलेजों में पीजी की मात्र नौ हजार सीटें इस बार स्नातक पार्ट थ्री में पास हुए एक लाख से अधिक स्टूडेंट्स वोकेशनल कोर्सो में उच्च शिक्षा हासिल कर रोजगार पा सकते हैं छात्र-छात्राएं बोधगया: सूबे में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में बढ़ने लगी है. इनमें ज्यादातर युवा स्नातक पास हैं. इसका कारण […]

मगध विश्वविद्यालय व कॉलेजों में पीजी की मात्र नौ हजार सीटें
इस बार स्नातक पार्ट थ्री में पास हुए एक लाख से अधिक स्टूडेंट्स
वोकेशनल कोर्सो में उच्च शिक्षा हासिल कर रोजगार पा सकते हैं छात्र-छात्राएं
बोधगया: सूबे में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में बढ़ने लगी है. इनमें ज्यादातर युवा स्नातक पास हैं. इसका कारण है सूबे के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में स्नातकोत्तर (पीजी) की पर्याप्त सीटें नहीं होना.
विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में पीजी की सीटें कम होने से स्नातक पास छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अब जगह की तलाश करनी पड़ रही है. पीजी में नामांकन नहीं होने के बाद स्नातक पास छात्र-छात्राओं के सामने दो ही विकल्प बच जाते हैं.
पहला, नौकरी के लिए प्रयास करना. दूसरा, पढ़ाई-लिखाई बंद कर दूसरे धंधे में जुट जाना.
अगर दोनों में सफलता नहीं मिली, तो बेरोजगारी को आत्मसात करने के अलावा युवाओं के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता है.
आठ प्रतिशत स्टूडेंट्स ही ले पायेंगे दाखिला
मगध विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू कार्यालय द्वारा स्नातकोत्तर (सत्र 2015-17) में नामांकन के लिए जारी अधिसूचना में आवेदन जमा करने, नामांकन व क्लास शुरू करने की तिथियां तय की गयी हैं. डीएसडब्ल्यू कार्यालय के अनुसार, एमयू मुख्यालय स्थित पीजी विभागों व कॉलेजों में नामांकन के लिए पीजी में मात्र नौ हजार सीटें हैं.
इधर, एमयू के परीक्षा नियंत्रक सह कुलसचिव डॉ सुशील कुमार सिंह ने बताया कि इस वर्ष स्नातक पार्ट थ्री की परीक्षा में एक लाख 30 हजार छात्र-छात्राएं शामिल हुए थे. इनमें से लगभग एक लाख 10 हजार स्टूडेंट्स पास कर गये हैं. अब सवाल यह उठता है कि स्नातक पास छात्र-छात्राएं अगर पीजी की पढ़ाई करना चाहें, तो उनके लिए एमयू में सीटों की संख्या मात्र नौ हजार ही हैं.
यानी एक लाख एक हजार स्टूडेंट्स को पीजी की शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में स्नातक पास छात्र-छात्राओं के समक्ष काफी विकट समस्या खड़ी हो रही है. यह स्थिति हर वर्ष उत्पन्न होती है.
कुलसचिव डॉ सुशील कुमार सिंह का कहना है कि शिक्षकों की कमी के कारण एमयू के अधिकतर कॉलेजों में पीजी की पढ़ाई नहीं शुरू हो पायी है. एमयू के पीजी विभागों, 44 अंगीभूत कॉलेजों व 200 से अधिक संबद्ध कॉलेजों से हर साल स्नातक पार्ट थ्री की परीक्षा पास करनेवाले छात्र-छात्राओं की संख्या एक लाख से पार कर जाती है.
ऐसी स्थिति में संसाधन, सीटों व शिक्षकों की संख्या बढ़ा कर पीजी की पढ़ाई शुरू करायी जा सकती है. उन्होंने सुझाव दिया कि प्रखंड स्तर तक भी कॉलेज खोल कर इंटर से लेकर पीजी तक की पढ़ाई शुरू करायी जानी चाहिए.
इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारों को साझा प्रयास करना होगा. वहीं, एमयू के बॉटनी के विभागाध्यक्ष डॉ एनके शास्त्री ने कहा कि सभी युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए दौड़ लगाने से बेहतर है कि वे वोकेशनल कोर्सो व स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान दें. इससे उच्च शिक्षण संस्थानों पर दबाव कम होगा और सभी छात्र-छात्राओं को रोजगार भी मिलेगा.

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