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मंदिर में दुर्लभ मूर्तियों का संग्रह

कोंच : गया से 30 किलोमीटर की दूरी पर कोंच में कोंचेश्वर महादेव का मंदिर है. मंदिर की चर्चा कई धार्मिक ग्रंथों में है. मंदिर की महिमा का बखान अब भी प्राकृत भाषा में आसपास के शिलालेखों पर अंकित है. नागर शैली में निर्मित आठवीं शताब्दी का यह मंदिर बिहार के प्राचीनतम मंदिरों में एक […]

कोंच : गया से 30 किलोमीटर की दूरी पर कोंच में कोंचेश्वर महादेव का मंदिर है. मंदिर की चर्चा कई धार्मिक ग्रंथों में है. मंदिर की महिमा का बखान अब भी प्राकृत भाषा में आसपास के शिलालेखों पर अंकित है. नागर शैली में निर्मित आठवीं शताब्दी का यह मंदिर बिहार के प्राचीनतम मंदिरों में एक है. मंदिर में गर्भ गृह की छत भीतर से गजपृष्ठाकार है और ऊपरी भाग में एक प्रकोष्ठ है.
आधार पर 8़ 50 मीटर वर्गाकार व मंदिर की ऊंचाई लगभग 21 मीटर है. ईंटों से निर्मित व चूना-सूरखी प्लास्टर से युक्त इस मंदिर के गर्भगृह में कोंचेश्वर महादेव के रूप में शिवलिंग स्थापित है. मंडप में शिव, विष्णु, गणोश व सूर्य सहित कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं. मंदिर के प्रांगण में बुद्ध, गणोश व कई देवी-देवताओं की बेशकीमती प्रतिमाएं रखी हुई हैं.
समुचित रख-रखाव के अभाव में मंदिर की दीवारों के प्लास्टर गिरने लगे हैं. चहारदीवारी ढहने लगी है, दरवाजे जजर्र हो गये हैं. मूर्तियों पर असामाजिक तत्वों की निगाह है. मंदिर के सामने एक बड़ा तालाब है. यहां शिवलिंग के अलावा भगवान विष्णु, हरि-गौरी, रामकृष्ण व दशावतार सहित लगभग 25 अन्य दुर्लभ मूर्तियां मंदिर के समीप सभा भवन में मौजूद हैं.
मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा वर्ष 1996 में राष्ट्रीय स्मारक की सूची में शामिल कर लिया गया है. मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु मन्नत मांगते हैं, उसे कोंचेश्वर महादेव पूरा करते हैं.
इस मंदिर की स्थापना व अन्य पहलू को लेकर इतिहासकार व पुरातत्व विभाग में काफी मतभेद है. कुछ पुरातत्वविद् इसे पाल काल का बताते हैं, तो कुछ वैदिक कालीन. कई इतिहासकारों का मानना है कि कोंचेश्वरनाथ मंदिर बौद्ध काल की सांस्कृतिक गतिविधियों का एक हिस्सा है.
चीनी यात्री ह्लेनसांग ने अपनी यात्रा के वृतांत में विस्तृत तौर पर इसकी चर्चा की है. इतिहासकारों के अनुसार, मंदिर के ऊपर की कलाकृति ओड़िशा के भुनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर से मेल खाता है. डॉ डीआर पाटिल द्वारा लिखित पुस्तक में कहा गया है कि कोंच गांव में एक राजा थे, जिसके शासनकाल में कोंच गांव में 52 मंदिर व 52 तालाब थे. उस समय सिद्धलिंग के रूप में कोंचेश्वर मंदिर काफी प्रसिद्ध था. इसी मंदिर के नाम पर कोंच का नामकरण किया गया.
बताया जाता है कि श्रीगुरु शंकराचार्य ने मंदिर में शिवलिंग का स्थापना की थी. मंदिर के समीप तालाब की खुदाई में कई दुर्लभ व प्राचीन मूर्तियां भी मिली हैं. मंदिर के बगल में एक सहस्त्रलिंग मंदिर स्थापित है. इसमें एक ही लिंग पर हजार सूक्ष्म शिवलिंग अंकित हैं. यहां स्थापित शिवलिंग काले बैसाल्ट पत्थर से निर्मित है. कोंचेश्वरनाथ मंदिर ऐतिहासिक व ऐतिहासिक रूप से समृद्ध होने के बावजूद उपेक्षित है.
मंदिर के सचिव रामधार शर्मा, अजय शर्मा पीयूष कुमार, कोंच के पैक्स अध्यक्ष कृष्णकांत, स्थानीय निवासी अंजनि शर्मा व रामजीवन पासवान का कहना है कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और इसके जीर्णोद्धार के लिए पहल की जानी चाहिए.

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