गया: सादगी व सरलता की प्रतिमूर्ति रहे बोधगया-फतेहपुर के विधानसभा क्षेत्र के तीन बार विधायक रहे बालिक राम की लंबी बीमारी के बाद जमशेदपुर में निधन हो गया. उनका शव गुरुवार की अहले सुबह तक गया के राजेंद्र आश्रम स्थित कांग्रेस कार्यालय में पहुंचने की संभावना है, जहां श्रद्धांजलि सभा के बाद विष्णुपद स्थित श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जायेगा.
श्री राम ने 1967 में राजनीति में कदम रहा. 1972 में सीपीआइ ने उन्हें फतेहपुर-बोधगया विधानसभा सीट से टिकट दिया. इस चुनाव में वह विजयी रहे. उन्हें पहली बार विधायक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. इसके बाद 1976 में वह पुन: बोधगया विधानसभा से सीपीआइ के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन राजेश कुमार से हार गये.
पुन: 1980 के चुनाव में उन्हें जीत का ताज पहनाया गया. 1985 में उन्हें मालती देवी के आगे फिर हार की खानी पड़ी. पुन: 1990 में तीसरी बार चुनाव जीत कर विधान सभा पहुंचे. तीनों बार वह सीपीआइ की टिकट पर ही चुनाव जीते. उन्हें 1980 में पार्टी ने प्रदेश सचिव मंडल का सदस्य नियुक्त किया गया और जब तक वह पार्टी में रहे इस पद पर बने रहे. 2009 में सदाकत आश्रम, पटना में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की.
इसके बाद उन्हें पार्टी का प्रदेश सचिव बनाया गया. 2010 के विधान सभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस पार्टी से बोधगया विधान सभा सीट के लिए टिकट दिया गया, लेकिन वह हार गये. तीन बार विधायक रहने के बाद भी आज तक वह पैदल ही भ्रमण करते थे. उनके पहनावे व आचार-आचरण इतने सरल थे कि देखने के बाद कोई नहीं कह सकता कि वह तीन-तीन बार विधायक रहे चुके हैं. स्व राम के दो बेटे व चार बेटियां हैं. पत्नी अभी जीवित हैं.
बड़ा बेटा मधेपुरा में न्यायिक मजिस्ट्रेट हैं. दूसरा बेटा एम टेक कर फिलहाल इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर हैं. बड़ी बेटी ने पोस्ट ग्रेजुएट की है. उसकी शादी कमांडेंट से की गयी है, जो टाटा में रहते हैं. स्व राम ने अंतिम सांस भी वहीं ली. उनके दोनों किडनी फेल हो चुके थे और वह इन दिनों बीमार रह रहे थे. दूसरी बेटी धनबाद में में लेक्चरर है. तीसरी बेटी बोधगया में बाल विकास परियोजना विभाग में सुपरवाइजर हैं. व सबसे छोटी बेटी लेडी श्रीराम कॉलेज, नयी दिल्ली में पढ़ रही है.