बोधगया: महाबोधि मंदिर परिसर में जानेवाले श्रद्धालुओं की जांच व इस कारण नियमित रूप से आवाजाही करनेवाले स्थानीय बौद्ध भिक्षुओं को राहत देने की बीटीएमसी की पहल को बौद्ध मठों को रास नहीं आ रही है.
बीटीएमसी द्वारा मंदिर में प्रवेश करने के लिए निर्गत किये जानेवाले प्रवेश पत्र बनवाने में बोधगया स्थित विभिन्न देशों के बौद्ध मठों के प्रभारी रुचि नहीं ले रहे हैं. गौरतलब है कि सात जुलाई को महाबोधि मंदिर परिसर सहित अन्य स्थानों पर हुए विस्फोट के बाद खासकर, महाबोधि मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. सुरक्षा-व्यवस्था बीएमपी के हवाले है.
यहां आनेवाले सभी श्रद्धालुओं की गहन जांच की जा रही है. चाहे वह बौद्ध भिक्षु ही क्यों न हों. इससे बोधगया स्थित विभिन्न देशों के बौद्ध मठों में हमेशा प्रवास करनेवाले भिक्षुओं ने डीएम सह बीटीएमसी के पदेन अध्यक्ष बालामुरुगन डी व गया के एसएसपी से रास्ता निकालने को कहा था. बीटीएमसी कार्यालय में सभी बौद्ध मठों के प्रतिनिधियों ने बैठक कर सभी बौद्ध मठों में रहनेवाले भिक्षुओं से अपने-अपने परिचय से संबंधित कागजात व प्रमाणपत्र बीटीएमसी कार्यालय को उपलब्ध कराने को कहा था. इसके लिए 15 सितंबर तक अंतिम तिथि तय की गयी थी. पर, बीटीएमसी कार्यालय के अनुसार, अब तक मात्र चार मठों ने ही कागजात उपलब्ध कराये हैं.
उल्लेखनीय है कि बोधगया में फिलहाल 55 से ज्यादा बौद्ध मठ हैं. सभी मठों में सालों भर पांच से 15 तक बौद्ध भिक्षु रहते हैं. ये प्रतिदिन महाबोधि मंदिर में पूजा, दर्शन व परिक्रमा करने आते हैं. लेकिन, उनकी सुविधा के लिए प्रशासन द्वारा सुझाये उपाय पर अमल करने की जरूरत अधिकतर ने नहीं समझी. अब 23 अक्तूबर से महाबोधि मंदिर परिसर में बौद्धों की सालाना पूजा भी शुरू होने जा रही है.
इस दौरान काफी संख्या में भिक्षु व श्रद्धालुओं का आवागमन होगा. पर, स्थानीय बौद्ध मठों के असहयोगात्मक रवैये से बीटीएमसी भी चिंतित है. बीटीएमसी कार्यालय इस मामले पर इंटरनेशनल बुद्धिष्ट कौंसिल ऑफ बोधगया के अधिकारियों से संपर्क कर रहा है. बीटीएमसी के सचिव एन दोरजी ने बताया कि मठों में रहनेवाले भिक्षुओं से जुड़े कागजात जमा कराने का काम संबंधित मठों के प्रभारियों का है. कागजात उपलब्ध कराने के बाद ही प्रवेश पत्र बनाने का काम शुरू होगा.