गया: जीवन की भागदौड़ में हर कोई एक-दूसरे से आगे निकलना चाहता है. इसी आपाधापी में इनसान कई दोषों से घिर जाता है. इससे मानसिक व शारीरिक तनाव में आना स्वाभाविक है. कॉरपोरेट वर्ल्ड में इस तरह की बातें तो आम हैं. ऐसे में पौराणिक, ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण गयाधाम की ख्याति देश में ही नहीं, बल्कि अब विदेशियों में भी फैलने लगी है. खास कर पितृपक्ष मेला शुरू होते ही गयाजी में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए लोग खिंचे चले आ रहे हैं.
गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया से आये माइक ने महेश लाल गुप्त (पंडा जी) से आज्ञा लेकर पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए विधि-विधान से पिंडदान किया. मां इलियाना के साथ आये माइक ने गया कूप वेदी से त्रिपिटक कर्मकांड की शुरुआत कर अपने दादा व पूर्वजों का पिंडदान कर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांग रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया में मां इलियाना व पिता व्र्लाड इन्टीरियर इंजीनियर हैं. माइक फिजिक्स की पढ़ाई कर रहा है. इलियाना कहती हैं कि भारत भगवान का घर है. यहां पर आकर उन्हें असीम शांति मिलती है. गयाजी आने के बाद उन्हें असीम शांति महसूस हो रही है.
उनके आने का उद्देश्य पूरा होता दिख रहा है. उन्होंने बताया कि माइक मानसिक रुप से परेशान रह रहा है. इसकी मन की शांति के लिए दोस्त के कहने पर हरियाणा के जमुना नगर के ज्योतिष वरुण का संपर्क मिला. माइक की जन्म कुंडली देख कर उन्होंने पितृ दोष बताया. इसकी मुक्ति के लिए उन्होंने गयाजी को ही सर्वश्रेष्ठ बताया. हालांकि, वरुण भी उनके साथ आये हैं.
वह भी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के उनलोगों के साथ ही तीन दिवसीय पिंडदान व तर्पण पुरुषोत्तम शास्त्री के बताये मंत्रों के साथ कर रहे हैं. वरुण बताते हैं कि गयाजी के पंडा जी कर्मकांड में एक पुल का काम कर रहे हैं. इसके द्वारा ही हम गयाजी में पूर्वजों का ऋण उतार सकते हैं. गयाजी में अपने पितरों का कर्मकांड करने से आयु, पुत्र, यश, कीर्ति, बल, वैभव व सुख मिलता है. पिंडदान करनेवालों के कुल में कोई दुखी नहीं रहता.