बोधगया: सार्वजनिक जीवन में मूल्यों का लगातार क्षरण हो रहा है. प्रशासनिक तंत्र विवेकशून्यता का शिकार हो रहा है. इससे देश-समाज को चौतरफा क्षति हो रही है. ये बातें भारत साधु समाज के संस्थापक महामंत्री धर्माचार्य स्वामी हरिनारायणानंद ने कहीं.
वह जगन्नाथ मंदिर में प्रेस प्रतिनिधियों से बातें कर रहे थे. भारत साधु समाज की पहल पर आगामी विजय दशमी के बाद प्रस्तावित धार्मिक जीवन व धर्म स्थान संरक्षण अभियान के पहले कार्यक्रम की रूपरेखा तय करने को लेकर सोमवार को वह गया दौरे पर आये थे. उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम के तहत धर्म संरक्षणयात्राका आयोजन होगा. इसमें बड़ी संख्या में साधु-संत व सामान्य नागरिक भी भाग लेंगे.
श्री हरिनायाणानंद ने सार्वजनिक जीवन में मूल्यहीनता के साथ ही हर क्षेत्र में बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर गंभीर चिंता प्रकट की. उन्होंने महिलाओं के साथ व्यभिचार की बढ़ती घटनाओं पर रोष जताते हुए कहा कि इसके लिए परंपरागत सामाजिक मानदंडों की अनदेखी काफी हद तक जिम्मेवार है. उन्होंने कहा कि आज तरह-तरह की योजनाओं की आड़ में लूट मचायी जा रही है. स्कूलों में देशभक्ति व नैतिकता के नाम पर विद्यार्थियों को कोई सबक नहीं दिया जा रहा. यही वजह है कि आज समाज से सदाचार गायब हो गया है.
बरबाद हो रहे मठदेखरेख के अभाव व उपेक्षा के कारण बिहार के कई प्राचीन मठों की स्थिति दयनीय है. हिंदू धर्मस्थलों के संरक्षण में लापरवाही दिख रही है. इस मामले में सरकार का रवैया भी ठीक नहीं है. स्वामी हरिनारायणानंद ने कहा कि सरकारी उपेक्षा के कारण लखपती मठों की स्थिति और खराब होती जा रही है. इन मठों की भू संपत्ति आदि छिन जाने के चलते अब इनका मेनटेनेंस भी नहीं हो पा रहा है.
नहीं है कोई योजना
स्वामी हरिनारायणानंद ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उसके पास गया तीर्थ के विकास के लिए कोई योजना नहीं है. इसे काफी भव्य बनाया जा सकता था. इससे बड़ी संख्या में बाहर से लोगों को गया की ओर आकर्षित किया जा सकता था. यह यहां के समाज व अर्थव्यवस्था दोनों के हित में होता, पर सरकार इस पर सोच भी नहीं रही है. दूसरी ओर बेवजह जहां-तहां अरबों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. पब्लिक की गाढ़ी कमाई बरबाद की जा रही है. श्री हरिनारायणानंद के साथ नवादा के बुधौली मठ के महंत प्रकाश पुरी भी मौजूद थे.