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.. ब्रह्नायोनि पर नहीं जा रही है नजर

गया: शहर में स्थित ब्रह्मयोनि पहाड़ के आसपास अतिक्रमण का मुद्दा काफी पुराना हो चुका है. राज्य सरकार व स्थानीय प्रशासन के समक्ष बार-बार इस मसले पर बातें हुई हैं. ज्ञापन सौंपे गये हैं. पर, काम के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ. धार्मिक महत्व के इस पर्वत के साथ ही उसकी तराई में स्थित […]

गया: शहर में स्थित ब्रह्मयोनि पहाड़ के आसपास अतिक्रमण का मुद्दा काफी पुराना हो चुका है. राज्य सरकार व स्थानीय प्रशासन के समक्ष बार-बार इस मसले पर बातें हुई हैं. ज्ञापन सौंपे गये हैं. पर, काम के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ. धार्मिक महत्व के इस पर्वत के साथ ही उसकी तराई में स्थित खजुरिया व कपिलधारा आश्रम की स्थिति भी दिनोंदिन बिगड़ती ही जा रही है.

आये दिन लोग अवैध तरीके से जमीन कब्जा कर पक्का निर्माण कर रहे हैं. प्रशासन को ठेंगा दिखा कर अतिक्रमण जारी है. यह बात ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम में ब्रह्मयोनि पर्यावरण एवं सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण समिति के संयोजक दिलीप कुमार उर्फ सिकंदर द्वारा दिये गये एक पत्र के आलोक में मामले की पड़ताल कर चुके एडीएम अविनाश कुमार ने भी अपनी रिपोर्ट में स्वीकार की है.

पहाड़ पर पेड़ों की कमी दूर करने के लिए श्री सिकंदर के प्रयास से पिछले कुछ वर्षो में भारी संख्या में पेड़ लगाये गये, जिन्हें दूरगामी योजना के तहत अतिक्रमणकारी व उनके सहयोगी काट रहे हैं. एडीएम श्री कुमार ने अपनी जांच रिपोर्ट में इस स्थिति की पुष्टि भी की है. ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि श्री कुमार की रिपोर्ट भी जून 2011 में एसडीओ, गया को सौंप दी गयी थी.

इसके बावजूद अब तक कोई कदम प्रशासन की ओर से नहीं उठाया जा सका है. श्री सिकंदर ने एक बार फिर इस ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया है. उनके मुताबिक, विगत 18 अप्रैल को उन्होंने मुख्यमंत्री को इस संबंध में एक पत्र लिखा था. इससे पहले इसी मुद्दे पर इसी वर्ष 22 फरवरी को भी एक पत्र मुख्यमंत्री के नाम सौंपे जाने का दावा किया गया है.

श्री सिकंदर के मुताबिक इस मामले में पटना उच्च न्यायालय का एक निर्देश भी जारी हुआ था. एडीएम श्री कुमार ने अपनी जो जांच रिपोर्ट एसडीओ को सौंपी थी, उसमें भी उन्होंने कहा था कि न्यायालय चाहता है कि जिला प्रशासन कुछ ऐसे कदम उठाये, ताकि ब्रह्मयोनि, खजुरिया व कपिलधारा आश्रम इलाके में अतिक्रमण रोका जा सके. पर, श्री सिकंदर के अनुसार, अब तक प्रशासन की ओर से ऐसा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है, जिससे वहां के हालात बदल सकें.

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