– कलेंद्र प्रताप –
बोधगया : विगत सात जुलाई को बोधगया में हुए सीरियल बम विस्फोटों की गूंज ने दुनिया के तमाम देशों में हलचल पैदा कर दी थी. लोग आतंकियों के नापाक इरादों से कुछ देर के लिए सहम गये थे. सबकी जुबान पर एक ही बात थी. महाबोधि मंदिर में भी विस्फोट!
पर, धीरे–धीरे अब सब सामान्य हो रहा है. बौद्ध धर्मावलंबियों के अतिरिक्त आम सैलानी भी बोधगया का रुख करने लगे हैं. देशी–विदेशी पर्यटकों के आने का सिलसिला तेजी से बढ़ने लगा है. कहा जा सकता है कि अब सब कुछ सामान्य हो गया है. कमोबेश सात जुलाई से पहले जैसा ही.
पर, हाल में पर्यटकों में एक नयी प्रवृत्ति घर कर गयी लगती है. बोधगया पहुंचने पर उनका सबसे पहला सवाल यह होता है कि विस्फोट कहां हुआ था? कैसा विस्फोट था? उनकी आंखें सबसे पहले उन्हीं जगहों को खोजतीं हैं, जिन्हें आतंकियों ने विध्वंस का केंद्र बिंदु बनाया था.
विस्फोट स्थल पहली प्राथमिकता
वैसे तो बोधगया आने के बाद हर पर्यटक की पहली चाहत महाबोधि मंदिर का दर्शन ही होता है. पर, बम ब्लास्ट के बाद मानो इनकी प्राथमिकता बदल गयी है. उनमें एक नयी उत्सुकता दिख रही है. आजकल ये पर्यटक स्थानीय गाइड से सबसे पहले विस्फोट वाली जगह दिखाने को कहते हैं.
महाबोधि मंदिर के गर्भ गृह में महात्मा बुद्ध के दर्शन के साथ ही विस्फोट वाले स्थलों को भी ये श्रद्धालु देखना नहीं भूल रहे. ऐसे पर्यटकों में उनकी संख्या भी कम नहीं है, जो महाबोधि मंदिर के गर्भ गृह में जाने से पहले ही धमाके वाले स्थलों को देख लेना चाहते हैं.
सुरक्षा के प्रबंध से बढ़ी जिज्ञासा
विस्फोट के बाद महाबोधि मंदिर के पास सुरक्षा के लिए तैनात पुलिसकर्मियों के चलते पर्यटकों के मन में अनायास ही विस्फोट की याद ताजा हो रही है. फिर क्या है. वे उधर ही पहले जाना चाह रहे, जहां जाकर विस्फोट की घटना की झलकियां देख सकें. उनके पास तमाम सवाल भी हैं. विस्फोट के बाद यहां पहली बार आनेवाले पर्यटक तरह–तरह की जानकारियां चाह रहे हैं, लोकल गाइड से. सुरक्षा गार्डो के अतिरिक्त स्थानीय लोगों से भी.