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आज भी जिंदा है ‘जीवा’

गया: नाटककार वागीश कुमार झा द्वारा लिखित नाटक ‘हम बच्चे हैं चांद से’ का प्रदर्शन गुरुवार की शाम पांच बजे दक्षिण बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी (सीयूएसबी) के गया कैंपस में छात्र-छात्राओं ने किया. यह नाटक बाल श्रम पर आधारित था. नाटक की कहानी इसके मुख्य पात्र ‘जीवा’ व उसके पिता ‘हरिया’ के इर्द-गिर्द घूमती है. इसमें […]

गया: नाटककार वागीश कुमार झा द्वारा लिखित नाटक ‘हम बच्चे हैं चांद से’ का प्रदर्शन गुरुवार की शाम पांच बजे दक्षिण बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी (सीयूएसबी) के गया कैंपस में छात्र-छात्राओं ने किया. यह नाटक बाल श्रम पर आधारित था. नाटक की कहानी इसके मुख्य पात्र ‘जीवा’ व उसके पिता ‘हरिया’ के इर्द-गिर्द घूमती है. इसमें यह दर्शाया गया कि सात साल की जीवा व उसकी बहन का जीवन खुशियों से भरा था.

वह गांव के अपने साथियों के साथ खेलता, पढ़ता-लिखता है. हालांकि उसकी मां नहीं थी. इस बीच उसके पिता दूसरी शादी कर लेते हैं. घर का खर्च मजदूरी से चलता है. इसी बीच अचानक उसकी मांग की तबीयत खराब हो जाती है. झाड़-फूंक के चक्कर में उसकी जान भी चली जाती है. हरिया के पास पत्नी के श्रद्ध के भी पैसे नहीं रहते.

वह गांव मजबूरी में जीवा को सेठ के यहां गिरवी रख रुपये लेकर आता है. लेकिन, जीवा मौका पाकर सेठ के यहां से भाग जाता है व दलाल के चक्कर में पड़ गांव के चार लड़कों साथ शहर चला जाता है. वहां एक करघा बुनने वाले के घर चारों को बेच दिया जाता है. वहां उनके श्रम का शोषण होता है, बदले में पैसे बहुत थोड़े. इस बीच एक सामाजिक संस्था व नेता जी के सहयोग से बच्चों को वहां से मुक्त कराया जाता है. जैसे ही घर लौटता है, तो गरीबी में पल रही बहन भूख से दम तोड़ती मिलती है. पिता वहीं पास विलाप कर रहे हैं.

नाटक समाज व व्यवस्था को कोसता है. साथ ही अंधविश्वास पर प्रहार कर संदेश दिया कि ‘जीवा’ आज भी जिंदा है. नाटक में शुभम ने जीवा की भूमिका निभायी, अपर्णा ने उसकी बहन की, जबकि अन्य कलाकारों में आस्था, प्रीति सुमन, ज्ञानदीप, विशाल, अभिषेक, प्रिंस व रूबी कुमारी ने भूमिका निभायीं.

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