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नागरिकता के सवाल सुलझाते रहे बाबा साहेब

गया: दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के गया कैंपस में सोमवार को डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती के मौके पर ‘डॉ भीमराव आंबेडकर एवं सामाजिक रूपांतरण’ विषय पर सामूहिक परिचर्चा की गयी. अध्यक्षता विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ कर्मानंद आर्य ने की. उन्होंने डॉ आंबेडकर के विचारों को तत्कालीन परिप्रेक्ष्य में देखा. कहा कि उनके […]

गया: दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के गया कैंपस में सोमवार को डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती के मौके पर ‘डॉ भीमराव आंबेडकर एवं सामाजिक रूपांतरण’ विषय पर सामूहिक परिचर्चा की गयी. अध्यक्षता विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ कर्मानंद आर्य ने की. उन्होंने डॉ आंबेडकर के विचारों को तत्कालीन परिप्रेक्ष्य में देखा. कहा कि उनके सपने अभी पूरे नहीं हुए हैं.
शिक्षक डॉ जितेंद्र राम ने कहा कि आंबेडकर न सिर्फ दार्शनिक, अर्थशास्त्री व संविधान निर्माता थे, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत भी थे. उन्होंने आंबेडकर की पुस्तक ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट, कास्ट इन इंडिया’ व ‘हू वेयर शूद्रास’ के तथ्यों का भी जिक्र किया. परिचर्चा में डॉ प्रणव कुमार ने आंबेडकर के विचारों के समक्ष भारतीय समाज की कुछ चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला.

डॉ प्रशांत कुमार ने कहा कि बाबा साहेब की मूल चिंता नागरिकता के सवाल को सुलझाने की रही. डॉ कमलानंद झा ने कहा कि दलितों की समस्या का समाधान अगर किसी धर्म से है, तो वह दलित धर्म से ही होगा. परिचर्चा का संचालन समाज विज्ञान संकाय के सेमिनार समन्वयक डॉ अभय कुमार ने किया. इस मौके पर विश्वविद्यालय के शिक्षक व छात्र-छात्र भी मौजूद थे.

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