गया: भगवान श्रीकृष्ण वेणु व धेनु संस्कृति के प्रवर्तक थे. जब संपूर्ण युग कंस के अत्याचार से त्रस्त था. जीवन भय व पीड़ा का पर्याय बन गया था, तब श्री कृष्ण ने अपने वेणु (बांसुरी) वादन से युग में समरसता का संचार किया. कृषि संस्कृति विकृत हो रही थी, उस समय श्रीकृष्ण धेनु (गाय) पालन कर कृषि संस्कृति को उन्नत किया. इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण संपूर्ण युग के तारक व उद्धारक थे.
श्रीकृष्ण ने युग व जीवन को नयी चेतना दी. ये बातें श्री मारुति सत्संग समिति, रामधनपुर के तत्वावधान में आयोजित सत्संग में सत्संग प्रभारी व गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री डा राधानंद सिंह ने कहीं.
डॉ सिंह ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण को मिटाने के लिए श्रीकृष्ण ने कालिया नाग का दमन किया व यमुना के जल को प्रदूषण मुक्त किया, विष रहित कर दिया. गोवर्धन पूजा के माध्यम से प्रकृति के महत्व को स्थापित किया व नहीं मानने पर युग के आतंकियों को महाभारत युद्ध में समूल विनाश करा दिया. ऐसे भगवान श्रीकृष्ण हमारी राष्ट्रीय, सामाजिक, सांस्कृतिक व आध्यात्मिक चेतना के लीला पुरुषोत्तम हैं. वेद व्यास ने श्रीमद्भागवत में उनकी भक्ति, महाभारत में उनकी शक्ति व गीता में उनकी युक्ति (ज्ञान) की व्याख्या की. जन्माष्टमी इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है. इस अवसर पर संस्था के सचिव बालेश्वर शर्मा, प्रो सत्येंद्र शर्मा, रामावतार प्रसाद, बबन प्रसाद, जगदीश मिस्त्री, गिरजा शंकर आदि उपस्थित थे. इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष व पूर्व स्वास्थ्य उप निदेशक डॉ गिरिजा शंकर प्रसाद को उनकी 83वीं जयंती पर सभी सत्संग प्रेमियों ने हार्दिक शुभकामनाएं दीं.