बोधगया: बोधगया आनेवाले पर्यटकों व तीर्थयात्रियों की सुरक्षा में पुलिस व प्रशासन सुस्ती बरत रही है. यहां आने-जाने वाले वाहनों पर कोडिंग का काम बंद हो जाना इसका जीता-जागता उदाहरण है. यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पिछले साल अगस्त में ऑटो पर एक विशेष कोड डालने का अभियान शुरू हुआ था. इसके तहत बोधगया से गया तक चलनेवाले ऑटो पर बीजी-वन, बीजी-टू के बढ़ते हुए क्रम में कोडिंग की गयी थी. तत्कालीन डीएसपी (विधि-व्यवस्था) राकेश कुमार दूबे के नेतृत्व में यह काम शुरू हुआ था. पर, फिलहाल बोधगया के ऑटो स्टैंड में कोडिंग वाले ऑटो नहीं दिख रहे. इसके पीछे पुलिस ने तर्क दिया था कि सभी वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर आसानी से याद नहीं रह पाता.
किसी तरह की अप्रिय घटना होने पर ऑटो की पहचान करना थोड़ा जटिल हो जाता है. पुलिस ने ऑटो के आगे बोनट पर काले रंग के पेंट से कोडिंग शुरू की थी व कहा था कि इससे देसी व विदेशी सैलानियों को कोड याद रखने में सहूलियत होगी. किसी तरह की परेशानी होने पर ऑटो पर डाले गये कोड के माध्यम से उसकी पहचान की जा सकेगी. कोड वाले ऑटो के मालिक व ड्राइवर के मोबाइल नंबर सहित उनके पते भी बोधगया थाने में जमा कराये गये थे. शुरुआत में लगभग 55-60 ऑटो पर कोड डाले गये, लेकिन इसके बाद कोडिंग का काम बंद कर दिया गया. फिलहाल बोधगया से गया, चाहे वह रिवर साइड रोड से हो या फिर गया-डोभी रोड से, यात्रियों को ले जाने वाले किसी ऑटो पर विशेष कोड नहीं दिखता.
बोधगया थानाध्यक्ष टीएन तिवारी ने बताया कि पर्यटकों की सुरक्षा के मद्देनजर कोडिंग का काम शुरू हुआ था. बोधगया स्टैंड से खुलने वाले ऑटो, जिनकी संख्या 60 के करीब है, के मालिकों के रिकार्ड थाने में हैं. पर, गया स्टैंड व मानपुर और सिकड़िया मोड़ स्टैंड से बोधगया आने वाले ऑटो के रिकार्ड नहीं हैं. इसी बीच कई नये ऑटो भी सड़कों पर आ गये हैं.
उल्लेखनीय है कि एक जापानी युवती के साथ 2010 में रात में ही गया जंकशन जाने के दौरान ऑटो चालकों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था. अब बोधगया का पर्यटन सीजन लगभग शुरू हो गया है. बौद्ध तीर्थयात्रियों के साथ ही देसी-विदेशी सैलानियों का भी आवागमन बढ़ गया है.