बोधगया: रविवार की रात सवा दस बजे पटना से रांची के लिए चली राज्य पथ परिवहन निगम की बस ‘गौरव लग्जरी’ गया हवाई अड्डे के समीप रात डेढ़ बजे पलट गयी. बस पलटते ही उसमें सवार 53 यात्रियों में कुछ पल के लिए दहशत व अफरा-तफरी मच गया. हर कोई सहमा हुआ था. सभी यात्री अपने साथ रहे हैंड बैग व मोबाइल आदि के साथ बस से बाहर निकलने में लगे थे.
एक-दूसरे को मदद भी की. महिलाओं को बाहर निकालने में प्राथमिकता दी जा रही थी. विषम परिस्थितियों में भी गजब का हौसला. हर कोई एक-दूसरे का कुशल-क्षेम पूछने में तल्लीन थे. पुलिस भी पहुंच चुकी थी व एंबुलेंस पर मामूली रूप से घायलों को चढ़ाया जा रहा था. सूचना पर पहुंचे ‘प्रभात खबर’ के संवाददाता ने यात्रियों से बस पलटने से पहले व तत्काल बाद की स्थिति पर चर्चा की. सीट संख्या सात-ए पर बैठे यात्री आइआइएम रांची के प्रोफेसर आनंद ने बताया कि वह जाग रहे थे.
उन्होंने कहा कि काफी तेज रफ्तार से चल रही बस में अचानक एक झटका सा महसूस हुआ. इससे पहले की कुछ समझ पाते, बस पलट चुकी थी. हम दूसरे यात्री पर जा गिरे. यात्री अर्चना सिंह ने बताया कि वह सो रही थी. अचानक से बस में थरथराहट होने लगी. नींद खुली, तब तक बस पलट चुकी थी. हाथ में चोट आयी, साथ रहे अन्य यात्रियों के सहयोग से बाहर निकली. कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था. साथ की सीट पर बैठी शीला दीक्षित ने बताया कि वह तो अपने सीट से काफी दूर वाली सीट पर दूसरे यात्री के ऊपर गिर पड़ी थी. लोगों ने बाहर निकाला. यात्री प्रियदर्शी अमर ने बताया कि गया से बस के बाहर निकलने पर अचानक उसकी गति तेज हो गयी थी.
एक झटके के बाद बस में कंपन और उसके बाद धड़ाम से बस पलट गयी. शुक्र है, ज्यादा चोटें नहीं आयी. पर मौत के खौफ ने हिला दिया. इस घटना में सबसे अंतिम सीट नंबर 53 पर बैठे यात्री सौरव कुमार की मौत हो गयी. बगल में बैठे सीट नंबर 51 का यात्री पीके सुंदरम ने बताया कि सौरव कुमार खिड़की पर सिर रख कर सो रहे थे. इस दौरान, बस पलट गयी और वह दब गये. यात्री अमरनाथ प्रसाद सिंह, जिनके बायां हाथ का जोड़ उखड़ गया (डिसलोकेट) है, ने बताया कि मौत को सामने से देखने का मौका मिला. पर, भगवान का शुक्र है कि सिर्फ एक को छोड़ सभी यात्री सुरक्षित हैं. यात्री मनोज कुमार, पंकज कुमार, राजेश कुमार, रंजन कुमार सिन्हा सहित अन्य ने बताया कि लगभग 30 वर्षीय बस का चालक हालांकि, नशे में नहीं दिख रहा था, पर वह काफी तेज गति से गाड़ी चला रहा था. स्पीड कम होने पर बस को सड़क पर ही नियंत्रित किया जा सकता था. सभी यात्रियों ने पुलिस की तत्परता व एंबुलेंस की सुलभ उपलब्धता की भी तारीफ की, लेकिन उन्हें सिर्फ अफसोस था, अपने सहयात्री सौरव कुमार की मौत का.