गया: शिक्षक के रूप में बुनियादी स्कूल में 25 साल सेवा देने के बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीइओ) के पद पर प्रोन्नति का दावा कर रहे खुर्शीद आलम पुन: प्लस टू जिला स्कूल में पियन बन गये. श्री आलम ने इसी स्कूल में वर्ष 1976 में पियन के पद पर योगदान किया था. पियन के […]
गया: शिक्षक के रूप में बुनियादी स्कूल में 25 साल सेवा देने के बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीइओ) के पद पर प्रोन्नति का दावा कर रहे खुर्शीद आलम पुन: प्लस टू जिला स्कूल में पियन बन गये.
श्री आलम ने इसी स्कूल में वर्ष 1976 में पियन के पद पर योगदान किया था. पियन के पद पर काम करते हुए उन्होंने मैट्रिक से लेकर एमए व बीएड तक की डिग्री हासिल की. 1989 में उन्हें शिक्षक के पद पर प्रोन्नत कर शेरघाटी बुनियादी स्कूल भेज दिया गया.
उन्होंने मैट्रिक वेतनमान पर योगदान किया. शिक्षक के पद पर 25 साल की सेवा के बाद उन्होंने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के पद पर प्रोन्नति का दावा किया. इस पर डायरेक्टर स्तर से सात अप्रैल, 2012 को उनकी सेवा ही समाप्त कर दी गयी. निर्णय के विरोध में उन्होंने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बड़ी मुश्किल से उनकी नौकरी बची. लेकिन उन्हें पियन पद से ही संतोष करना पड़ा.
प्रोन्नति संबंधी मामला हाइकोर्ट में : खुर्शीद आलम की माने तो विभाग के सक्षम अधिकारियों से अनुमति प्राप्त कर पियन के पद पर रहते हुए एमए व बीएड की डिग्री हासिल की. शैक्षणिक योग्यता के आधार पर ही उन्हें शिक्षक के पद पर प्रोन्नति दी गयी थी. जब उनसे जूनियर शिक्षकों को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के पद पर प्रोन्नति दी गयी, तो उन्होंने भी दावा किया. लेकिन, उनकी सेवा समाप्त कर अन्याय किया गया. इस मामले में हाइकोर्ट से न्याय मिला है. प्रोन्नति संबंधी मामले अब भी हाइकोर्ट में हैं. फिलवक्त प्लस टू स्कूल में योगदान कर लिया है.