बोधगया: प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव के तहत बाढ़ व सुखाड़ को मुद्दा बनाने पर सहमति जताते हुए कहा गया कि वर्ष 2010 में चार अगस्त को ही बिहार को सुखाड़ क्षेत्र घोषित कर दिया गया था, लेकिन वर्तमान सरकार अब तक सिर्फ समीक्षा करने में लगी है. 38 जिलों में से 20 जिलों में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 50 प्रतिशत रोपनी होने की बात कही जा रही है. बावजूद इसके सरकार अब तक सुखाड़ की घोषणा नहीं कर रही है.
यह भी कहा गया कि नेपाल में बांध नहीं बनाये जाने व अत्यधिक पानी छोड़े जाने के कारण सात जिले बाढ़ की चपेट में हैं. सरकार यहां भी राहत कार्य में सुस्ती बरत रही है.
राजनीतिक लाभ के लिए उठाये गये ज्वलंत मुद्दों में बाढ़ व सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने को लेकर 24 अगस्त को सूबे के सभी प्रखंडों पर भाजपा कार्यकर्ताओं का धरना-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया. प्रदेश प्रवक्ता विनोद नारायण झा ने बताया कि राजनीतिक प्रस्ताव प्रदेश महामंत्री विनय सिंह ने लाया था, जिसका समर्थन विधायक रामाधार सिंह व उषा विद्यार्थी ने किया. उन्होंने बताया कि बैठक में शोक प्रस्ताव भी आया. इसमें पाकिस्तानी सैनिकों की गोली से पांच जवानों के शहीद होने, छपरा में मिड डे मील खाने से बच्चों की मौत व बगहा में गोली कांड में छह आदिवासियों की मौत पर दो मिनट का मौन रखा गया. जिला मीडिया प्रभारी योगेश कुमार ने बताया कि शोक प्रस्ताव प्रदेश महामंत्री सुधीर कुमार ने लाया.