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पर्यटन के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर नजर

बोधगया: विदेशी मुद्रा अजिर्त करने व रोजगार के अवसर पैदा करनेवाले पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी प्रयासरत है. इसके तहत धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. लेकिन, बिहार-झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में इको टूरिज्म को बढ़ावा देनेवाले कई स्थल हैं, जहां विकास किया जा सकता है […]

बोधगया: विदेशी मुद्रा अजिर्त करने व रोजगार के अवसर पैदा करनेवाले पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी प्रयासरत है. इसके तहत धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. लेकिन, बिहार-झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में इको टूरिज्म को बढ़ावा देनेवाले कई स्थल हैं, जहां विकास किया जा सकता है और देशी-विदेशी सैलानियों को आकर्षित कर उनकी संख्या में इजाफा किया जा सकता है.

बोधगया में आयोजित इंटरनेशनल जियोग्रफी कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन शुक्रवार को बिहार-झारखंड में इको टूरिज्म को बढ़ावा देनेवाले स्थलों पर प्रकाश डालते हुए मगध विश्वविद्यालय (एमयू) के भूगोल के शिक्षक डॉ राधेकांत प्रसाद ने बिहार-झारखंड के कई स्थलों पर विकास किये जाने पर जोर दिया. उन्होंने इसके लिए प्राकृतिक संसाधनों से युक्त क्षेत्र, स्पा, पहाड़ी, गुफा, नदियों व झील आदि को विकसित कर इको पर्यटन के रूप में आकर्षित करने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि बिहार-झारखंड क्षेत्र में 29,232 स्क्वायर किलोमीटर में जंगल है. यहां दो नेशनल पार्क व 21 सेुंरी मौजूद हैं.

इसके साथ ही राजगीर में सप्तधारा (गरम पानी का झरना), जिसके पानी का तापमान 106-110 फॉरेनहाइट रहता है. ठंड के दिनों में यहां काफी संख्या में लोग आते हैं. झारखंड में पारसनाथ की पहाड़ियां (गिरिडीह में), टैगोर हिल (रांची में), मंदार पर्वत (भागलपुर में), पीर पहाड़ी (बिहारशरीफ में), राजगीर व बराबर की पहाड़ियों में कई गुफाएं हैं. प्राकृतिक संसाधनों में हुंड्र जलप्रपात (रांची में), ककोलत जलप्रपात (नवादा में) व झारखंड के रामगढ़ जिले में रजरप्पा को भी इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नदियों में भी गंगा घाट (पटना), कष्ठा हरनी घाट (मुंगेर), तिलैया स्थित कांवर झील व प्रवासी पक्षियों का सेुंरी(बेगुसराय) आदि को भी इको टूरिज्म के रूप में बढ़ावा दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि बिहार-झारखंड के पास इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए काफी संसाधन उपलब्ध हैं. महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया में आयोजित कॉन्फ्रेंस में डॉ प्रसाद के साथ ही गया कॉलेज की शिक्षक प्रो विभा सिंह ने इको टूरिज्म पर अपने विचार रखे. उनके पत्र को भूगोल की रिसर्च स्कॉलर रेणु कुमारी ने पढ़ा.

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